Sunday, January 9, 2011

वो काला भुसण्ड लौड़ा

इन दिनों मेरे मौसा जी आये हुये थे और मेरा छत वाला कमरा उन्हें दे दिया था। फ़ुर्सत का समय मैं उसी कमरे में बिताती थी। मौसा भी साला बड़ा जालिम था। मेरे पर वो टेढ़ी नजर रखता था, पर मुझे उससे कोई फ़र्क नहीं पड़ता था, साला ज्यादा से ज्यादा क्या कर लेगा, मुझे चोद देगा ना ... तो उसमें मुझे कहां आपत्ति थी। पर वो मादरचोद एक बार शुरू तो करे।

मुझे एक रात नींद नहीं आ रही थी। रात का एक बज रहा था। मन में बहुत बैचेनी सी थी। एक तो बहुत दिनों से चुदी नहीं, वो हरामी, भोसड़ी का अब्दुल भी बाहर चला गया था। मैं उठ बैठी और धीरे धीरे सुस्ताती सी छत की तरफ़ चल दी। सीढियाँ चढ़ कर मैं ज्यों ही मौसा के कमरे के पास पहुंची तो देखा लाईट जल रही थी। मैंने झांकने की कोशिश तो देखा मौसा नंगा हो कर हस्तमैथुन कर रहा था। मेरा दिक धक से रह गया। उसका मोटा काला भुसण्ड लण्ड देख कर मेरा दिल दहल गया। मैं उत्सुकतापूर्वक उसे देखती रही ... वो कभी लण्ड को ऊपर नीचे हिलाता फिर आगे पीछे करके मुठ मारता ... मेरा दिल भी मचल उठा ... साला 40 साल में भी अपनी जवानी का सत्यानाश कर रहा था। मन में आया कि अन्दर चली जाऊँ और जी भर कर चुदा लूँ। पर शराफ़त इसकी इजाजत नहीं देती थी। मेरे दिल में आग सी लग गई। मैं अपने कमरे में आ गई और अपनी चूत दबा कर सोने की कोशिश करने लगी।

अगले दिन मेरी नींद जरा देर से खुली। देखा तो मौसा जी मेरे कमरे में खड़े हुये मुझे घूर रहे थे। मेरी उठी हुई शमीज में से मेरे चूतड़ों की गोलाईयों को निहार रहे थे। मेरी छोटी सी पैन्टी मेरे चूतड़ों में एक डोरे की तरह फ़ंसी हुई थी। मैने तुरन्त अपनी शमीज नीचे खींच ली। मुझे अपनी ओर देखने से मौसा जी झेंप गये और बाहर निकल गये।

नाश्ते के बाद मैने मौसा जी को धीरे से कहा,"भेन चोद, मुझे सोते हुये देखता है !"

"बानो, मस्त लगती है तू तो !"

"भोसड़ी के, तेरे बेटी नहीं क्या, उसे देख कर लण्ड हिलाया कर !"

"ऐ बानो, साली मां की चूत, खुद तो उघाड़े पड़ी थी, चड्डी भी तो डोरे जैसी पहनती है, देख लिया तो क्या हुआ?"

"मुझे चूतिया समझ समझ रखा है ना, साला लण्ड पर मुठ मारता है ! बात करता है !"

"मुठ, हट ! तुझे क्या पता बानो !"

"उह्... साला इतना लम्बा काला लण्ड यूँ हिला हिला कर मुठ मार रहा था कि कोई देखे तो बस चुदाने की इच्छा हो जावे !"

"साली, बड़ी मर्द मार है, छुप छुप कर देखती है, कभी मौका मिलने दे तो साली को फ़ाड़ कर रख दूंगा !"

"क्यों मां के लौड़े, अभी मौका नहीं है क्या ... "

उसने मुझे पकड़ लिया और मुझे दीवार से टकरा दिया और मेरे बड़े बड़े बोबे भींच दिये। मैं आनन्द से सीत्कार कर उठी।

"भोसड़ी के, अपनी माँ को चोदा है कभी ?"

"ऐ बानो, ज्यादा मत बोला कर..."

"अच्छा तो अपनी बहन की गाण्ड मारी है क्या..."

"बहुत हो गया, बानो ... साली की चूत फ़ाड़ डालूंगा "

"तो बेटी को तो जरूर चोदा होगा, साली शकीला है भी मस्त राण्ड !"

"बहुत बोलती है, जब तेरी मां को चोदूंगा ना तो मजा आयेगा !"

"मेरी माँ तो कब का चोद चुका होगा तू ! अब मुझे चोद दे ना ... चोद ना मौसा !"

"रात को ऊपर आ जाना, साली को मस्त कर दूंगा !"

"अम्मी, मौसा को तो देख, मुझे तंग रहा है ... !!!!"

"साला, मरा, अब मेरी बेटियो को छेड़ेगा ... अभी आई ... मादरचोद की गाण्ड मार दूंगी "

मैं खिलखिलाती हुई भाग खड़ी हुई। तभी अम्मी जान बड़बड़ाती हुई आ गई।

"घर की जवान लड़कियों पर भी नजर रखता है भेनचोद, गण्डमरा जाने कब मरेगा यहाँ से..."

मौसा जी घबरा कर छत पर कमरे में चले गये।

रात के बारह बजे के करीब मैं दबे पांव ऊपर कमरे के बाहर आ गई। तभी मौसा ने दरवाजा खोल कर मुझे अन्दर घसीट लिया।

"लगी आग चूत में ना ... चली आई चुदवाने?"

"अरे जा रे, तेरे जैसे बहुत से देखे है मैंने ... तू क्या सोचता है लण्ड तेरे पास ही है क्या?

"फिर तेरी भोसड़ी में आग क्यूँ लगी है ... ये ले मेरा काला लौड़ा ... "

मौसा ने अपनी लुन्गी उतार दी और पूरा नंगा हो गया।

"हाय रे मौसा, सच में लौड़ा है तो घोड़े जैसा, यह तो मेरी फ़ाड़ डालेगा, देख तो मेरी छोटी सी मुनिया !"

मैंने भी अपनी शमीज ऊपर उठा दी, पैण्टी मैं पहन कर नहीं आई थी, चुदना जो था ना। मेरी चिकनी सी रस भरी चूत को देखते ही मौसा मचल उठा। उसका काला लण्ड घोड़े के लण्ड की तरह खड़ा हो कर झूलने लगा। मुझे उसने अपनी तरफ़ खींच लिया और मुझे बेदर्दी से प्यार करने लगा। मुझे भी एक मस्त कठोर शरीर वाला मर्द चाहिये था जो मुझे ऐसे मसल कर रख दे कि बस ... हाय चुदाई की इच्छा हर बार होने लगे।

मेरे बदन में एक वासना भरी लहर चलने लगी। मेरी चूचियाँ कठोर होने लगी। बदन में जैसे रस भरने लगा। उसके खुरदरे हाथ मेरी चूचियों का मर्दन करने लगे। मेरा हाथ उसके कड़े और मोटे लण्ड पर आ गया। स्पर्श करते ही मुझे पता चल गया कि यह मेरी चूत को फ़ाड़ ही डालेगा। मोटा, लम्बा और खुरदरा लौड़ा, लगता था चूत को छलनी कर देगा। पर फिर भी मेरी चूत उसके लण्ड की रगड़ खा कर मस्त होने लगी। मेरी चूत लपलप करने लगी, चूत का द्वार जैसे अपने आप ही खुलने लगा। मैने एक गहरी आह भरते हुये उसके लण्ड को पकड़ कर चूत से सटा लिया।

"मौसा, भोसड़ी के ! चोद दे मुझे ... घुसा ना अपना काला लण्ड !"

"चल खाट पर टांगें चौड़ी कर ले ... देख तेरी चूत कैसे गपागप लेती है मेरा लौड़ा।"

खाट पर लेट कर मैने अपनी टांगें ऊपर उठा ली। भारी भरकम मौसा ने अपना लण्ड पकड़ कर मेरी चूत पर रख दिया।

"ऐ मां की लौड़ी, तैयार है ना ...?"

"साले हरामी, टांगें उठा अपनी मां चुदवा रही हूँ क्या, चल घुसेड़ दे अपना काला भुसन्ड लौड़ा"

तभी मेरे मुख से चीख निकल गई। उसका मोटा लौड़ा मेरी चूत में कसता हुआ अन्दर जाने कोशिश में था।

"मौसा नहीं, धीरे से ... यह तो बहुत मोटा है।"

"तेरी मां दी फ़ुद्दी, चूत फ़ाड़ी नहीं तो फिर लण्ड ही क्या ?"

मेरे मुख से हल्की चीख निकल गई। उसका खुदरा लण्ड काफ़ी घुस चुका था। और अन्त में मौसा ने मेरा मुख दबा कर जोर का भचीड़ मार दिया। मेरी चीख मुख में ही घुट गई। लगा कि मानो चूत फ़ट गई हो। मेरी आंखों से आंसू निकल पड़े।

"बस गन्डमरी राण्ड, बोल गई ना चूँ ... अब आराम से..." मौसा अब रुक गया। मेरी सांस में सांस आई। चूत में मोटा सा लण्ड फ़ंसा हुआ लग रहा था कि जैसे किसी ने रबड़ का डण्डा घुसेड़ दिया हो। उसने धीरे धीरे मेरी चूचियाँ मलनी शुरू कर दी। मेरे शरीर को दबाना और सहलाना आरम्भ कर दिया।

धीरे धीरे मुझ पर लण्ड फ़ंसा होने के बावजूद मस्ती छाने लगी। मेरी चूत अपने आप हिलने लगी। चुदाई बड़े धीरे से और प्यार से होने लगी। उसका मोटा लण्ड अन्दर बाहर होने लगा। मेरी चूत के दाने पर उसकी रगड़ बढ़ने लगी और मैं दूसरी दुनिया में खोने लगी। ऐसी मस्ती भरी चुदाई मैंने पहली बार पाई थी। मोटे और लम्बे लण्ड का मजा कुछ ओर ही होता है यह मैंने आज जान लिया था। मेरे शरीर में साज तरंग बजने लगे थे ... तन थरथरा रहा था, अन्दर आग गहराती जा रही थी। मुझे मौसा जी अब बहुत अच्छे और सुन्दर लगने लगे थे। उनका बोझ मेरे ऊपर फ़ूलों सा जान पड़ रहा था। मेरी चूत उसका लण्ड उछल-उछल कर ले रही थी। सारा शरीर जैसे आग हो रहा था।

"हाय मौसा जी, जरा जोर से ... खींच कर चोदो ... आह मैं मरी रे ... अम्मी जान ... यह तो मेरी ही जान निकाल देगा !"

"आई ना मस्ती... तेरी जवान चूत का मजा भी गजब का है बानो !" मौसा जी वासना में बहक रहे थे और बोले जा रहे थे,"तेरी भेन को चोदू, रण्डी, छिनाल ... अब तक क्यूँ नहीं चुदाया रे ..."

उसके भरपूर शॉट मेरी चूत पर पड़ रहे थे। जाने कब तक वो मुझे कस कस कर चोदते रहे और फिर ... अचानक मेरी चूत ने पानी छोड़ दिया। मेरी चूत लहरा कर पानी निकालने लगी। मेरा सारा जोश ठण्डा होने लगा। फिर उसके लण्ड की मार से मुझे दर्द होने लगा।

"बस, मौसा अब मुझे छोड़ दे ... बहुत लग रही है ... बस कर..."

मौसा तो पागल हो रहा था। जाने उसमें कहां से इतनी शक्ति आ गई कि उसने अपना लण्ड मेरी चूत से निकाल कर मुझे उल्टा पटक दिया। और मेरा मुख दबा कर मेरी गाण्ड में, मेरे रज से सना हुआ चिकना लण्ड घुसेड़ दिया। मेरी आंखें जैसे उबल पड़ी। दो तीन शॉट में तो उसका मोटा लण्ड मेरी गाण्ड में पूरा घुस चुका था। वो पागल की तरह मुझे चोदे जा रहा था। मारे दर्द के मेरा बुरा हाल था। मैने अपने मुख से उसका हाथ हटा दिया और रोती हुई मेरी सिसकियाँ मुख से फ़ूट पड़ी। कुछ ही देर में उसके लण्ड ने मेरी टाइट गाण्ड के दबाव से अपना वीर्य हवा में उछाल दिया ... और हांफ़ता हुआ जैसे वीर्य की वर्षा करने लगा। मेरे बाल, पीठ सब वीर्य से सन गये। मौसा धीरे धीरे शान्त होने लगा।

"मौसा मेरी गाण्ड से खून निकला होगा ना?"

"बानो तुम तो बस ... कोई खून नहीं है ..."

मुझे विश्वास ही नहीं हुआ, ऐसा तेज और तीखा दर्द हुआ था ... पर सच में मेरी चूत और गाण्ड ने सब कुछ झेल लिया था।

"बानो, अब जी करे तो रोज आ जाना, मन की पूरी कर लेना, मेरी भी मन की पूरी हो जायेगी !"

"मौसा, तुम बहुत खराब हो ! अपनी बानू की तो खूब मारी, जानते हो कितना दर्द हुआ !"

"इसी में तो मजा है, तुम्हें लगा ना कि अब तुम्हारी मस्ती भरी चुदाई हुई है, मानती हो ना?"

"धत्त, मुझे तो रुला दिया तुमने ..."

"फिर कल ... देखना कितना उछल उछल कर चुदाओगी... और हंसोगी !"

"हाय अल्लाह, तुम तो बहुत बेशरम हो..." मैं एक मर्द के सामने मैं पहली बार शरमाई थी, मैं मुस्करा कर और सिर झुका कर नीचे कमरे में भाग आई ...



मान भी जाओ बहू

मेरा नाम कुसुम है और मैं मेरठ की रहने वाली हूँ, उम्र 24 साल, गोरा रंग, कसा हुआ बदन, किसी भी लौड़े में जान डाल सकती हूँ, 5 फुट 5 इंच लंबी, कसी हुई छातियाँ, पतली सी कमर और गोल गोल चूतड़ !

अब मेरी तरफ से अंतर्वासना के हर एक पाठक को मेरा प्रणाम ! अंतर्वासना डॉट कॉम वेबसाइट एक हाउस वाइफ के लिए बेहद ज़बरदस्त है। अपना काम निपटा कर दोपहर को रोज़ इसमें छपने वाले एक एक अक्षर का आनंद लेती हूँ। यह अंतर्वासना मुझे मेरे ससुर जी ने पढ़वाई थी, तब से मैं इसकी कायल हो गई थी।

ठीक दो साल ही पहले मेरी शादी विवेक नाम के युवक से हुई थी। मैं एक बहुत कामुक और बहुत ही चुदक्कड़ लड़की हूँ। शादी से पहले न जाने कितनी बार अपनी बुर चुदवाई थी लेकिन जो सोचा था वो जीवन में नहीं मिल पाया- पति के रूप में ज़बरदस्त मर्द और उसका मोटा लंबा लौड़ा जो रोज़ रात को मुझे ही ठंडी करे !

लेकिन विवेक का ना तो बड़ा था और ना ही मुझे किनारे लगाने लायक ! धोखा हुआ था मेरे साथ ! लेकिन इतना ज़रूर था कि मेरा भेद नहीं खुल पाया क्यूंकि उस से तो मुश्किल से मेरे पहले से चुदी होने का राज नहीं खुला क्यूंकि अगर मैं सील बंद होती तो वो मेरी सील तोड़ ही नहीं पाता।

शादी के छः महीने बीत गए, सासू माँ अब मुझसे बच्चे की उम्मीद लगाए बैठी थी और फिर एक दिन मेरे पति का ऑस्ट्रेलिया का वीसा लग गया।

सासू माँ ने मुझसे कहा- अब वीसा लग गया है, उससे कहना कि जाने से पहले तुझे पेट से करके जाए !

मेरे ससुर जी फौजी रह चुके थे और अब एक कंपनी में गार्ड थे लेकिन फिर वो नौकरी छोड़ घर आ गए। यह बात ससुर जी ने सुन ली क्यूंकि मैंने उन्हें दरवाज़े के बाहर खड़ा देखा था। मुझे देख वो मुस्कुरा दिए और चले गए। ऊपर से मैं उन दिनों पहले ही बहुत प्यासी थी।

फिर एक दिन पति देव तो फ्लाईट पकड़ सिडनी पहुँच गए। वो चले गए और वहाँ जाकर मेरे पेपर्स भी तैयार करवाने लगे। उधर अब ससुर के इलावा मेरे जेठ की नियत मुझ पर खराब थी। हालाँकि वो दूसरे घर में रहता था लेकिन पति के जाने के बाद वो आने के बहाने ढूंढता। ससुर जी शायद डरते थे कि कहीं मैं विरोध ना कर दूँ !

एक रात मेरा सब्र का बांध टूट गया। मेरे ससुर और मैं दोनों घर में अकेले थे और मैं कई दिनों से चुदाई चाहती थी। मैं ससुर जी के कमरे में गई, जीरो वाट का दूधिया बल्ब जल रहा था। ससुर जी सीधे लेट कर सोये थे लेकिन उनके लौड़े ने तो पजामे को तम्बू बना रखा था शायद वो नाटक कर रहे थे।

मैं बिस्तर के बिल्कुल पास गई, घुटनों के बल बैठ कर हाथ उनके लौड़े की ओर बढ़ा दिया। लेकिन न जाने क्या हुआ, मैं डर से वहाँ से वापिस चली आई। नींद नहीं आ रही थी, बार-बार ससुर जी का पजामे में खड़ा लौड़ा सामने आ जाता। तभी मैंने अपनी सलवार का नाड़ा खोल कर पैंटी में हाथ डाल कर देखा, कच्छी गीली हो गई थी। मुझे सीधे लेट नींद नहीं आती, एक तकिये को बाँहों में लेकर उलटी लेट सोने की कोशिश करने लगी।

अभी आँख लगी थी कि किसी का हाथ मेरी गांड की गोलाइयों पर फिरने लगा। मैं समझ गई थी लेकिन कुछ न बोली। मेरी सलवार का नाड़ा खींचा गया, गांड नंगी करके कच्छी के ऊपर से सहलाने लगे। मेरा सब्र टूट रहा था। पापा ने गांड को चूमना चालू कर दिया। मैं नाटक कर मदहोश हुई पड़ी थी। वो मेरी बग़ल में लेट गए और पूरी सलवार नीचे तक सरकाने की कोशिश की।

फिर बोले- अब मान भी जाओ बहू ! खुद तो मेरे कमरे में इतने करीब आई और वापिस चली आई ! अब जब हम चल कर खुद आये हैं तो सोने का नाटक ?

मैं पलटी, कॉलर से पकड़ कर ससुर जी को अपने ऊपर गिरा दिया- आप भी तो सोने का नाटक कर रहे थे ! अब तो मुझे कह रहे हो !

वो मेरे गुलाबी होंठों को चूसने लगे। वाह ! कितने प्यार से चूस रहे थे ! मैं उठी और उनकी कमीज़ उतार दी। क्या मर्दानी छाती थी ! मैं वहाँ चूमने लगी, बालों से खेलने लगी। सारी शर्म-सीमा ना जाने कहाँ गायब हो गई थी।

कुछ ही पलों में उन्होंने मेरे बदन से एक एक करके सारे कपड़े उतार फेंके। मुझे अपनी मजबूत फौजी बाँहों में जकड़ लिया, कभी मेरी जवानी का रस पीते तो कभी मेरी जांघों की चूमा-चाटी करते। अब मेरा सब्र जवाब देने लगा और मैंने उठ कर उनको बिस्तर पर धक्का दिया, उन पर गिरते हुए उनके अण्डर्वीयर को उतार फेंका और उनका फौलादी लौड़ा बाहर निकाल लिया। और कुछ देर पहले जिसको पजामा फाड़ने पर उतरे हुए को देखा था, सोचा था, यह उससे भी ज्यादा मोटा लम्बा था।

मैंने झट से चूसना शुरु किया, वो आहें भर रहे थे, मेरे मम्मे दबाते जा रहे थे। मेरी जवानी के रंग में ससुर जी रंग के डुबकियाँ लगाने लगे। फिर न उनसे रुका गया, न मुझ से ! और मेरी टाँगें आखिर चौड़ी करवा ही ली उन्होंने ! मैंने नीचे हाथ लेजाकर खुद ठिकाने पर रखवा दिया और मेरा इशारा पाते ही ससुर जी ने झटके से लौड़ा अन्दर कर दिया।

हाय मजा आ गया ! कितनी भीड़ी गली है ! कमबख्त मेरा नाम मिटटी में मिला रहा है ! मेरा अपना बेटा जिससे दरार खुल न सकी !

तो आप फाड़ डालो ससुर जी !

यह ले साली, देख नज़ारा फौजी की चुदाई का ! ले !

वो तेज़ तेज़ धक्के लगने लगे और मुझे स्वर्ग दिखने लगा। बीस पच्चीस मिनट मुझे कभी इधर से, कभी उधर से, ऊपर-नीचे कितने तरीकों से सम्भोग का असली सुख दिया और फिर अपना बीज मेरी चूत में निकाल मुझ से चिपक गए।

पूरी रात ससुर जी के साथ बिताई। सुबह आंख खुली तो नंगी उनकी बाँहों में सो रही थी। सुबह चली तो लगा कि कल रात मानो पहली बार चुदवाया था।

फ़िर आये दिन मौका पाते ही हम बंद कमरे में रास-लीला रचाने लगे। अब जेठ जी को ना जाने कैसे हम पर शक हो गया।

एक रोज़ दोपहर को जब घर में मैं और ससुर जी थे और मैं यह सोचकर कि और कोई नहीं है घर में, चली गई ससर जी के कमरे में !

जब मैं निकली ससुर जी के कमरे से, वो भी जालीदार नाइटी और उसके नीचे कुछ न पहना था जिससे मेरे जवान मम्मे, कड़क हुए चुचूक साफ़ दिख रहे थे और ऊपर से सलवटें पड़ी हुई देख जेठ जी मुस्करा दिए। मुझे क्या मालूम था कि जेठ जी वहीँ मौजूद थे, मुझे देख उनकी आँखों में वासना चमकने लगी। मैं शरमा कर निकल गई।

जेठ जी ने जेठानी के जनेपे के लिए उनके पीहर भेज दिया जिससे उनकी वासना और बढ़ गई। करते भी क्या ! औरत पेट से थी तो लौड़े का क्या हाल होगा !

मांजी सा ने मुझे रोज़ तीनों वक़्त का खाना भिजवाने को कह रखा था। मैं पहले नौकर से कहती थी लेकिन फिर खुद लेकर जाने लगी।

उसके बाद क्या हुआ जानने के लिए अन्तर्वासना का साथ मत छोड़ना !

मिलतें हैं जल्दी ही !



भाई और बहन

हैलो कैसे हैं आप सब। आज बहुत दिन बाद मैं कोई कहानी लिखने जा रही हूं आरजू अगं मैं असल में बाहर चली गयी थी पर जाने से पहले कई कहानियां भेज कर गयी थी ताकि आप लोगों को मेरी कमी न महसूस हो और आप लोगों के बहुत सारे मेल मिले जिनमे मेरी कहानियों को काफ़ी पसंद किया गया है जिसका मैं आप सबका खुले दिल और फ़ैली चूत के साथ शुक्रिया अदा करती हूँ लड़कियों की चूत के लिये दुआ करुंगी कि उनको भी कोई चोदने वाला जल्दी से मिल जाय और लड़के तो साले होते ही हरामी हैं कहीं और नहीं मिली तो घर में ही शुरु हो गये पर मुझे लड़को से एक शिकायत है कि वो सब ही मुझे चोदना चाहते हैं अरे यार मुझे चुदवाने से कोई इंकार नहीं है पर अब मैं बैठी यू पी में और आप लोग पता नहीं कहां कहां बैठे हो अब भला किसी का लंड इतना बड़ा तो होगा नहीं कि वहां बैठे बैठे मेरी चूत को चोद डाले तो प्लीज़्ज़ज़्ज़ज़्ज़ज़्ज़ मुझसे हर तरह की बात करे पर मुझे चोदने की बात न करे क्योंकि ये हो नहीं सकता

हां तो अब मैं आप सबको बताती हूं कि मैं आगरा अपनी मुमानी के घर गयी थी करीब ५ साल बाद अपनी अम्मी और भाई के साथ वहां मुझे बहुत अच्छा लगा इतने साल बाद जाने के बाद वहां सभी लोग बहुत प्यार से मिल रहे थे हम लोगों ने खूब मौज मस्ती की पर हफ़्ते भर बाद ही मुझमे चुदाने के कीड़े रेंगने लगे क्योंकि यहां तो लगभग रोज़ ही चूत में लंड खाती थी शायद ही कोई दिन ऐसा जाता हो जब मैं न चुदवाउं पर यहां तो चुदायी क्या साला किसी से चूची मसलवाने को तरस गयी हालांकि मेरी मुमानी की २ लड़कियां मेरी ही एज ग्रुप की थी पर वो बहुत सीधी साधी थी कम से कम उनके बर्ताव से तो यही ज़ाहिर होता था कि बच्चियां अभी बहुत नादान है बेचारी अपनी जवानी के बारे में भी शायद नही जानती थी जब कि वो दोनो बला की खूबसुरत थी जिस्म का रंग दूध ऐसा गोरा भरी भरी जांघें लाल लाल गाल और चूचियां तो कयामत थी कसम से उनकी चूची बला की खूबसुरत थी उसमे छोटी वाली अभी स्कर्ट टोप ही पहना करती थी उसकी उम्र १५ साल की थी मैं अकसर सोचती कि साली इतनी खूबसूरत है दोनो फ़िर भी इतनी सीधी साधी है

एक दिन की बात है मैं छत पर नहा कर बाल सुखा रही थी कि तभी कोई मेरे पीछे से मेरी गांड में लौड़ा अड़ा कर मेरी चूचियों को दबाने लगा मेरी बांछे खिल गयी सोचा किसे तरस आया मेरी जवानी पे जब घूम कर देखा तो भाई जान थे मैने कहा हटिये भी भाई भला ये भी कोई जगह है प्यार करने की कोई देख लेगा तो शामत आ जायेगी तब भाई ने उसी पोसिशन मे खड़े खड़े मेरी चूचियां दबाते हुए कहा हां यार ये तो है साला यहां बाकी सब तो ठीक है पर लंड को बहुत तरसना पड़ता है साला यहां घर ऐसा महल तो है नही कि जब जी चाहा बिस्तर पर पटक कर चोद लिया यार तुम न हुई तो अम्मी की पुरानी भोसड़ी में ही लंड डाल लिया नहीं तो तुम्हे ही चोद लिया पर साला यहां तो बड़ी दिक्कत है अब हफ़्ता भर हो गया साला लंड को कोई चूत नसीब नहीं हुई उनके चूची दबाने से मैं अब तक गरम हो चुकी थी तब मैने कहा भाई अब आप मेरी चूची न दबायें क्योंकि इस तरह तो आग और भड़क रही है जब चोद नहीं पायेंगे तब गुसल खाने में जाकर मुझे भी उंगली करनी पड़ेगी और आपको भी मुठ मारना पड़ेगा

तब भाई ने कहा यार अब इतने दिन बाद मौका मिला है तो बिना चोदे तो नहीं छोड़ुंगा चाहे जो हो जाय और ये कह कर मेरी टोवल खोलने लगे मगर मैने कहा हाय भाई ऐसा न कीजिये कहीं यहां किसी ने देख लिया तो बड़ी बदनामी हो जायेगी चुदवाने का मन तो मेरा भी है पर क्या करें मज़बूरी है तब भाई ने कहा अच्छा तुम नहीं मान रही तो मेरा लंड बस मुंह से चूस कर ही हल्का कर दो मैं सब्र कर लूंगा मैने कहा भाई आप मान नहीं रहे कहीं कोई उलटी सीधी बात हो गयी तो क्या होगा मगर भाई न माने और मुझे एक तरफ़ दीवार की आड़ में ले गये और अपनी पैंट की जिप खोल कर मुझे घुटनो के बल फ़र्श पर बैठा दिया और मेरे हाथ में लंड पकड़ा कर बोले प्यारी बहना चूस कर खलास कर दो लंड को तब मैने कहा भाई अभी तो खड़ा भी नहीं हुआ बहुत मेहनत करनी पड़ेगी और टाइम भी लगेगा आप मान नहीं रहे तब वो मेरी चूची को टोवल के उपर से दबाते हुए बोले साली नाटक न कर बहन की लौड़ी एक तो चोदने को नहीं मिल रहा उपर से तू बातें चोद रही चल जल्दी से चूस कर खड़ा कर लंड को तब मुझे भी गुस्सा आ गया और मैने कहा बड़ी बहादुरी दिखा रहे हो लो अब मैं भी बहादुरी दिखाती हूं

ये कह कर मैने अपनी टोवल उतार कर फ़ेंक दी और झट से भाई का लंड मुंह में भर लिया और चूसने लगी भाई ने जब देखा कि मैने टोवल उतार कर फ़ेंक दी तो उसकी भी गांड फ़टी आरज़ू तुमने ये क्या किया कहीं किसी ने देख लिया तो क्या होगा? तब मैने कहा अभी मैं कह रही थी तो मेरी गांड में घुस गये अब काहे गांड फ़टी जा रही चोदो जो होगा देखा जायेगा ज्यादा से ज्यादा मुमानी की लड़कियां या मुमानी ही तो आयेंगी उपर सम्भाल लूंगी मैं उनको तब भाई ने कहा अगर मामु जान आ गये तो क्या होगा? तब मैने कहा यार लड़कियों और अम्मा को तुम सम्भालना और अगर मामु जान आये तो वो मेरी चूत और नंगी चूचियां देख कर ही धरसायी हो जायेंगे

उसके बाद मैने भाई से कहा भाई आप जल्दी से मेरी चूत को चाट कर गरम कर दो और आपका लंड मैं चूस कर तैयार करती हूं तब भाई जल्दी से मेरी चूत की तरफ़ मुंह करके लेट गये और अपने लंड को मेरे मुंह के पास ले आये और तब मैं जल्दी से उनका लंड मुंह में भर लिया और चूसने लगी भाई भी चटाक चटाक मेरी बुर को चटखारे के साथ चूस रहे थे भाई का लंड जल्दी ही खड़ा हो कर तन गया मगर मैं अभी पूरी तरह से गरम नहीं हुइ थी तब भाई ने कहा आरज़ू तुम जल्दी से चौपाया बन जाओ मैं पीछे से डालता हूं आज तुम्हारी चूत में तब मैने कहा भाई अभी मैं पूरी तरह गरम नहीं हूं आप ऐसा कीजिये कि अपनी टांगे फ़ैला लीजिये मैं आज झूला आसन से चुदाउंगी तभी भाई अपनी टांगे सीधी फ़ैला कर बैठ गये और मैं अपनी चूत फ़ैला कर उनकी टांगों के बीच खड़ी हो गयी और पहले भाई से कहा भाई एक किस मेरी बुर पर कीजिये फ़िर सम्भाल कर बैठ जाइये मैं अचानक अपनी चूत आपके लंड पर गिराउंगी तब भाई ने मेरी चूत पर किस तो करा मगर फ़िर बोले रानी अगर सेंटर आउट हो गया तो मेरी भी गांड फ़टेगी और तुम्हारी भी इसलिये भलाई इसी में है कि चुपचाप मेरे लौड़े पर अपनी चूत रख कर बैठ जाओ मगर मुझे तो ज़िद चढ़ गयी मैने कहा जैसा कहती हूं करो तब भाई सम्भल कर बैठ गये और मैने धड़ से उनके लंड पर बैठने को हुई कि उनका लंड पीछे चला गया और मेरी गांड के नीचे दब गया भाई के मुंह से एक दर्द भरी चीख निकल गयी आआआआआआअह मार डाला कुतिया सालीईईई मैं पहले ही कह रहा था तु नहीं कर पायेगी मगर तु तो आज मेरी गांड फ़ाड़ने पर अमादा है हट जा ज़रा सहलाने दे लंड को बहुत ज़ोर से दबा है एक तो तेरे चूतड़ इतने भारी है और उपर से ९ मन का बोझ तब मुझे भाई की हालत देख कर हंसी आ गयी और मैने कहा एक बार निशाना चूक गया तो गांड फ़ट गयी अरे मेरी चूत की तुम और अब्बु मिलकर कितनी बार कुटायी कर चुके हो तब भाई थोड़ा नोर्मल हो गये और मैं फ़िर से खड़ी हो गयी मुझे खड़ा होते देख कर भाई की गांड फ़ट गयी बोले क्या इरादा है अब तेरा?

मैने कहा भाई वन्स मोर! कोशिश करो प्लीज! तब भाई ने कहा बहुत बड़ी निशांची बन रही है याद रख तुझे चांस तो दे रहा हूं अगर इस बार निशाना चूका तो किसी कुत्ते से तेरी गांड मरवाउंगा हम दोनो अपनी वासना में इतने गुम हो गये थे कि भूल ही गये थे कि ये घर मुमानी का है और हम लोग छत पे है मुझे ज़रा आहट हुइ तो देखा कि खाला की छोटी लड़की अफ़रोज़ दरवाज़े की आड़ लेकर खड़ी है और पता नहीं कब से हम दोनो की बातें सुन रही थी और नज़ारा देख कर मज़ा ले रही थी मैं उसे देख कर थोड़ा सकपका गयी और सम्भलते हुए भाई की गोद में बैठ कर उसके कान में धीरे से कहा भाई अफ़रोज़ पता नहीं कितनी देर से हम लोगों को देख रही है और हमारी बातें भी सुन ली है उसने तब तो भाई भी घबरा गया

तब भाई ने धीरे से कहा अब तो देख ही लिया है मेरे ख्याल से ये ज्यादा कुछ नहीं करेगी बस हम लोगों की चुदायी देखेगी इसमे हमारा ही फ़ायदा है तब मैने कहा भाई अगर मुमानी से कह दिया इसने तब क्या होगा? मामु और मुमानी क्या सोचेंगी कि हम लोग आपस में चोदा चोदी करते हैं? तब भाई ने कहा ऐसा कुछ नहीं होगा अब हमे इसकी प्यास भड़कानी है इसको इस बात का एहसास करा देना है कि चुदायी में बहुत मज़ा आता है जवान तो ये भी है साली कितनी देर तक बरदास्त करेगी चूत की प्यास को और फ़िर जब मेरा औज़ार तुम्हारी चूत में घुसते हुए देखेगी तब साली खुद ही उंगली करेगी अपनी बुर में और कसम से मैं तो पहले दिन से इन दोनो बहनों को चोदने के चक्कर में हूं मगर हाथ ही नहीं धरने देती हैं साली दोनो बहने पर आज यकिनन इसकी चूत में चुदायी का कीड़ा रेंगने लगेगा बस तुम इस तरह से दिखाना कि तुमको बहुत मज़ा आ रहा है फ़िर देखो कैसे लाइन पर आती है और उसके बाद भाई ने मुझे कैसे चोदा और फ़िर वहीं छत पर अफ़रोज़ को भी ऊपरी मज़ा यानि खाली चूची मसलने का मज़ा दिया उसके बाद उसकी चुदायी भी की पर उसके बारे में अगली कहानी में बताउंगी ओके

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देर से ही सही, चुद तो गई

शर्मा जी और हम पास पास ही रहते थे। दोनों के ही सरकारी मकान थे। मेरे पति और शर्मा जी एक ही कार्यालय में कार्य करते थे। शर्मा जी का भाई पास ही में एक किराये के मकान में रहता था और एक प्राईवेट कम्पनी में काम करता था। पति के ऑफ़िस जाते ही शर्माजी की पत्नी मेरे घर या मैं उसके घर आते जाते थे। शादी के बाद हम बीवियाँ पति से तो चुदती ही रहती हैं, पर मन तो करता है ना कि कोई नया लण्ड भी तो चूत में घुसे। शादी यानी कि लण्ड के चूत में घुसाने का लाईसेन्स ... चूत का पर्दा तो चुदते ही फ़ट जाता है फिर चाहे कोई भी लण्ड हो, उसका स्वागत कर सकते हो। यानि हम बीवियो को शादी के बाद लण्ड लेने में छूट मिल जाती है।

शर्मा जी का भाई पप्पू ... शर्मा जी के जाते ही आ जाता था फिर वो काफ़ी देर तक वहीं रहता था। उसकी ड्यूटी दिन को दो बजे से चालू होती थी, सो खाना उन्हीं के यहां खाता था। पप्पू मुझे बहुत ही पसन्द करता था, करेगा क्यो नहीं ... मैं भरपूर जवान जो थी ... दुबली पतली, लम्बी, सुन्दर सी थी। मै अधिकतर घर पर ढीला ढाला सा पजामा पहना करती थी और ऊपर एक कुर्ता। मेरे उत्तेजना से भरपूर दोनों गोल गोल सुन्दर चूतड़ पप्पू को बहुत ही भाते थे। पप्पू का काम था कि पीछे से मेरे उभरे हुए चूतड़ो की चाल देखना और बस मेरे कुर्ते में झांकते रहना और उसकी भरपूर कोशिश यही रहती थी कि मेरे कहीं से भी चूंचियों के दर्शन हो जाये। मैं यह सब समझती थी और उसका मनोरंजन उसे अपनी चूंचिया दिखा कर करती थी। इससे मेरा भी मनोरंजन हो जाता था। शरम तो बहुत आती थी पर क्या करुँ यह चूत है ही ऐसी चीज़ कि कोई लण्ड जहाँ नजर आया और फ़ड़क उठी।

मुझे अब धीरे धीरे पप्पू और नीता पर शक होने लगा था कि उन दोनों के बीच चुदाई का सम्बन्ध है ... पर उन्हें कैसे पकड़ें ... । एक बार उन्हें पकड़ लिया तो मैं अपने आप को चुदा लूँ ।

मैं एक बार पप्पू के आते ही चुपके से उसके घर में चली आई और बेडरूम वाली खिड़की से अन्दर का जायजा लिया। मेरा शक एकदम सही निकला। दोनों आलिंगनबद्ध थे और एक दूसरे को चूम रहे थे। मेरे जिस्म में झुरझुरी सी आ गई। दिल में वासना जागने लगी। मैं आवाज लगाती हुई अन्दर चली गई, वो दोनों ही दूसरे काम में लग गये थे। मैने भी अब अपने जलवे दिखाने की सोची और पप्पू को अपने लिये भी पटाने था, उसकी योजना बनाने लगी। आज मैंने उसे अपने चूतड़ भी उभार कर दिखाये, चूंचियो के दर्शन भी करा दिये और बड़ी समझदारी से उसे एक इशारा भी दिया कि मुझे पटा लो। पता नहीं मेरे इशारे ने कितना काम किया ?

अगले ही दिन मैने नीता और पप्पू को अपने ही घर की खिड़की से उन्हें लिपटे हुए देख लिया, मैंने खिड़की के पास जाकर और गौर से देखा, पप्पू नीता के बोबे दबा रहा था। मेरी चूत एकाएक फ़ड़क गई। लगा शायद मुझे ही दिखाने के लिये ये सब किया था। मैं उत्साहित हो गई। मुझे लगा कि मुझे वहां जाकर मुझे कोशिश करनी चाहिये, शायद काम बन जाये। मैंने घर का काम जल्दी से समाप्त किया और नीता के घर में आ गई।

नीता से बातचीत में मैने उससे कहा,"नीता, यार आजकल मेरा मन बहुत ही भटक रहा है, दिल को चैन नहीं आ रहा है !" मैंने उसे अपने मन की बात खोलने की कोशिश की।

"मुझे पता है, ऐसा जब होता है जब मन में कोई इच्छा होती है !" नीता ने मुझे उकसाया, मैं उत्साहित हो गई।

"हाँ, मुझे ऐसा लगता है कि कोई बस आकर मेरे ऊपर चढ़ जाये और बस मेरा कल्याण कर दे !" उसे मैने एक स्पष्ट इशारा दिया।

"ओह हो ... यानि नीचे की बैचेनी है ... अनिल है तो सही ...! " उसने इशारा समझा और मुझे परखने लगी।

"नहीं कोई और चाहिये ... नया !" मैने उसे इशारा किया। वो सब समझ चुकी थी, सीधे मेरे दिल पर चोट की,"पप्पू चलेगा क्या ...? "

उसने ज्योंही पूछा, मैने अपनी निगाहें शरमा कर झुका ली, हां में सर हिलाया।

"अरी मुँह से तो बोल ना मोना ... " मै शरमा कर भाग गई।

दिन को मैं वापस गई ... तो सोफ़े पर पप्पू नीता की चूंचियों से खेल रहा था, उसके कुर्ते का एक भाग ऊपर करके उसे दबा रहा था। नीता का मुँह मेरी तरफ़ था। मैं जैसे ही दरवाजे पर आई नीता में मुझे देख लिया और हाथ से इशारा कर दिया, कि बस देख लो। पप्पू को नहीं बताया कि मैं दरवाजे पर हूँ। उसने पप्पू का सर अपनी चूंचियो पर दबा लिया और मुझे देख कर मुस्करा उठी। और अपनी चूंचियाँ भचक भचक करके उसके मुँह में मारने लगी। जैसे पप्पू दूध पी रहा हो। अचानक पप्पू ने मेरी तरफ़ देखा।

"क्या हो रहा है जनाब ... " मैने कटाक्ष किया।

"ये पप्पू मुझे प्यार बहुत करता है ना, इसलिये मुझसे चिपका ही रहता है।" नीता ने बनावटी हंसी हंस दी।

"पप्पू जी, हमें भी तो कभी करके देखो ना ... " मैने पप्पू को सीधे कहा।

"मोना जी ... आप तो मजाक करती हैं !"

"ना जी , मजाक कैसा ... अच्छा एक बार और नीता को प्यार करके दिखा दो ना !" मेरी नजरें जैसे उसे न्योता दे रही थी।

नीता मुस्करा उठी और उसने पप्पू को प्यार से चूम लिया। पप्पू ने भी नीता को चुम्मा दिया और फिर पप्पू के होंठ नीता के होंठ से मिल गये। पप्पू का एक हाथ नीता के स्तनों पर आ गया और दूसरा उसकी सेक्सी जांघ पर आ गया। मैं यह सीन देख कर पसीने पसीने हो गई। मुझे उम्मीद नहीं थी, मुझे खोलने के लिये वो मेरे सामने ही मस्ती करने लगेगी। मेरे हाथ पांव जैसे कांपने लगे। वासना के डोरे मेरी आखो में खिंचने लगे। नीता ने अब मेरे सामने ही पप्पू का लण्ड पेण्ट के ऊपर से थाम लिया। उसके मोटे लण्ड का शेप उसके हाथों में नजर आने लगा।

"पप्पू , बस भई बहुत प्यार हो गया ... अपनी दूसरी भाभी को भूल गया क्या ... ?" मेरी आवाज वासना से भर उठी थी।

"देख ना मोना, मुझसे कितना प्यार करता है ये ... ... बस मुझे छोड़ता ही नहीं " नीता ने मुझे आंख मारी, और उसका सलोना लण्ड हाथों में कस लिया। मैं तो वैसे भी पिघलती जा रही थी।

"मुझे भी तो एक बार प्यार करले ना !" मेरे मुख से निकल पड़ा ... बिलकुल ऐसे ही ...

"मोना भाभी ... आप तो बहुत ही नाजुक हैं, आओ यहाँ बैठो ... प्यार करने से तो दिल खुश हो जाता है !" उसे मेरा हाल मालूम हो चुका था। मेरी चूत गीली हो चुकी थी। मैं उसके पास बैठ गई। वो मेरे पास आ गया और गहरी नजरों से मुझे निहारने लगा, आंखो आंखो में सेक्सी इशारे होने लगे, मैं कभी तिरछी नजर से उसे देखती कभी लण्ड की ओर इशारा करती। कभी चूंची उभारती और कभी आंख मारती। हमारी हालत देख कर नीता कह उठी,"अच्छा मैं चाय बना कर लाती हूं ... पप्पू मेरी सहेली है ये ! प्यार अच्छे से करना ... !" नीता ने मेरे हाथ दबाते हुये कहा।

यानि अब मुझे एक नया, ताज़ा लण्ड मिलने वाला था। नीता ने मुझे बहुत ही प्यार से पप्पू को मेरे लिये तैयार कर लिया था। पप्पू की बाहें अब मेरे गले और कमर के इर्द गिर्द लिपट गई। मेरा जिस्म डोल उठा। चूंचियाँ दबने के लिये मचल उठी। मेरे और उसके होंठ चिपक गये। उसके होंठो पर प्यार करने का अन्दाज बड़ा मोहक था। कुछ क्षणो में मेरे बोबे दब गये। मेरे मुख से आह निकल गई। जिस्म में वासना का उबाल आ रहा था। उसके हाथ मेरे कुर्ते के अन्दर पहुंच गये थे। मेरी चूंचियो के निपल को उसने अपनी अंगुलियो से मलना चालू कर दिया। मैने उसका लण्ड पेण्ट के ऊपर से थाम लिया। उसकी पेण्ट की ज़िप खींच कर खोल दी और उसका कड़कता लण्ड खींच कर बाहर निकाल दिया। उसका सुपाड़ा को चमड़ी खींच कर बाहर निकाल दिया।

"चाय आ गई है ... चलो नाश्ता कर लो ... अरे ये क्या ... प्यार करने को कहा था ... मोना ये क्या करने लगी ... " पप्पू के सुपाड़े को देख कर नीता ने अपना व्यंग का तीर छोड़ा।

मैं तुरन्त सम्भल कर बैठ गई। शरमा कर नीची नजरें कर ली।मैने धीरे से नीता की ओर देखा और मुँह छुपा लिया।

"बस बस , चाय मैं दे देती हूँ ... " नीता ने हंस कर चाय दे दी।

"पप्पू अपने छोटे पप्पू को तो भीतर कर लो ...! " पप्पू हंस पड़ा और मैं शर्म से झेंप गई।

मैंने जल्दी से शरम के मारे चाय समाप्त ही और उठ कर जाने लगी। नीता ने मुझे पकड़ लिया बोली,"कहां चली गोरी, तेरी चूत में तो आग लगी थी ना ... आजा अब मौका है तो बुझा ले ... तुझे एक बात बताऊँ !"

मैंने प्रश्नवाचक निगाहो से उसे देखा।

"तुझे जब से पप्पू ने देखा है ना, तब इसका लन्ड फ़ड़फ़ड़ा रहा है, यानि तूने मुझे कहा, उससे भी पहले !"

"चल हट ... झूठ बोलती है !"

"हां री ... तेरे को पटाने के लिये हम ऐसे ही एक्शन करते थे कि तुझे शक हो जाये ... और तू हमें छुप छुप कर देखे !"

"हाय रे ! मुझे तो तुम दोनों ने बेवकूफ़ बनाया ... !" मुझे उसके दिमाग की तारीफ़ करनी पड़ी।

"जब तेरी चूत में आग लग गई तो तुझे चोदना और भी आसान हो गया और देख अब तू चुदने वाली है !"

मैने भागने की सोची पर पर पप्पू ने मुझे दबोच लिया और बिस्तर पर पटक दिया। मैं बिना वजह उसकी बाहों में कसमसाने लगी। दिल तो कर रहा कि हाय जालिम, इतनी देर क्यूँ लगा रहे हो? चोद डालो ना।

"हाय पप्पू, मुझे अब चोद डालोगे ... ?" मेरे मुख से दिल की बात निकल पड़ी।

"हां मेरी मोना भाभी ... मुझसे रहा नहीं जा रहा है ...! आपकी जगह नीता भाभी को चोद चोद कर उनकी चटनी बना डाली थी ... अब तुम मिल ही गई हो ... तो कैसे छोड़ दूं?" उसका शिकायती स्वर था।

नीता ने लपक कर मेरे हाथ पकड़ लिये। पप्पू ने मेरे बोबे भींच दिये, और मेरे ऊपर चढ़ गया।

"मोना ... बुझा ले अपनी प्यास मोना ... नये लण्ड से ... मुझे तो ये पप्पू रोज ही जम कर चोदता है !" नीता वासना से भरे हुये स्वर में बोली। उसकी आंखो में भी गुलाबी डोरे उभर आये थे।

"नीता ... हाय रे ! मुझे बहुत शरम आ रही है ... तू जा ना यहाँ से ... मैं चुदा लूंगी !" मैंने मुँह छुपाते हुये कहा।

"ना ... ना रे ... मुझे भी तो चुदना है ना ... पप्पू अपना लौड़ा निकाल ना ... चोद डाल मेरी सहेली को !" नीता की आवाज वासना में डूबी हुई थी।

"हाथ छोड़, मैं निकाल लूंगी इसका लौड़ा ... " मैंने अपना हाथ नीता से छुड़वाया और उसकी पेण्ट का हुक खोल दिया। पप्पू ने अपनी पेण्ट उतार दी। मैने उसका लण्ड पकड़ कर अपने मुँह तक खींचा, उसने अपना कड़क लण्ड आगे आ कर मेरे मुँह में डाल दिया।

"तू उधर देख ना नीता ... मुझे मन की करने दे ना ... !"

" कर ले ना यार ... लण्ड चूसना है ना, तो चूस ले ... मैं तेरी चूत का मजा ले लेती हूँ ... "

" नहीं, मत कर नीता ... प्लीज ...! "

नीता ने मेरी एक नहीं सुनी और जल्दी ही मेरी चूत पर उसके होंठ जम गये। मैंने अपने पांव चौड़ा दिये और चूत खोल दी। मेरी छाती पर पप्पू बैठा था और मेरे मुँह में उसका लण्ड घुसा था। उधर मेरी चूत नीता के कब्जे में आ चुकी थी। वो मेरे चूत के दाने को जीभ से चाट चाट कर मुझे मदहोश कर रही थी। अचानक नीता ने अपनी एक अंगुली मेरी गान्ड में घुसेड़ दी। मुझे असीम आनन्द आने लगा।

पप्पू के लण्ड के सुपाड़े के छल्ले को मैंने कस के चूस लिया और वो एक बारगी तो तड़प उठा। सुपाड़ा फूल कर लाल टमाटर की तरह हो गया था। उसने नीता को हटाया और स्वयं मेरे ऊपर लेट गया। उसका फ़ूला हुआ सुपाड़ा मेरी चूत पर रेंगने लगा था। मेरी चूत ऊपर उठ कर लण्ड को लीलना चाह रही थी। ज्यादा इन्तज़ार नहीं करना पड़ा मुझे ... वो अपने आप निशाने पर मेरी चिकनी चूत से टकरा गया ... और हाय रेऽऽऽऽऽ ... उसका मोटा लण्ड मेरी चूत में घुस पड़ा। मैं सिसक उठी। चूत और ऊपर उठ गई। मेरा बदन कसक उठा। शरीर में एक मीठी सी लहर दौड़ गई।

"मेरे भगवान ... आह ... कितना मजा आ रहा है ... । और मैने भी अपनी चूत को ऊपर उठा कर पूरा जोर लगा दिया। लण्ड सभी हदों को पार करता हुआ ... मेरे चूत की तलहटी तक पहुंच गया था। लण्ड को मेरी चूत ने पूरा लील लिया था। अब मैं कुछ देर तक इसी तरह रह कर लौड़े का पूरा आनन्द लेना चाहती थी। सो मैंने उसे उसकी कमर को कस कर जकड़ लिया। लण्ड ने एक ठोकर और मारी और मेरी आंखे मस्ती में बंद हो गई। वो अपने लण्ड को जोर से चूत की गहराई में गड़ाने लगा था। मेरी चूत अपने आप अब थोड़ी थोड़ी लण्ड को घिसने लगी थी। तेज मीठी जलन होने लगी थी। जैसे चूत में आग लग गई हो। मेरी सिसकारियाँ उभरने लगी। मुझे गाण्ड में कुछ मोटा मोटा सा लण्ड जैसा लगा, ... आह रे ये क्या ... नीता ने मेरी गाण्ड में तेल लगा डिल्डो घुसा दिया था।

"रानी अब पूरा मजा ले ... ये तेरी गाण्ड में सुरसुरी करेगा ... चूत में लण्ड मजा देगा !" नीता ने मुझे पूरी तरह से अपने वश में कर लिया था।

" हाय मेरी नीता ... तूने तो आज मेरा दिल जीत लिया है ... तेरी जो मर्जी हो वो कर ... मुझे चाहे मार डाल ... !" मैं स्वर्गीय आनन्द से विभोर हो उठी। मेरी चूत जल उठी, बदन वासना की तेज तरंगों में नहा उठा। जिस्म का कोना कोना मीठी सी वासना से जल उठा। मेरी गाण्ड में नीता बड़ी मेहनत के साथ डिल्डो पेल रही थी। मुझे दोनों ही पूरा शारीरिक वासना का सुख देने की कोशिश कर रहे थे। अब मैने अपने जिस्म को ढीला छोड़ दिया और धक्कों का मजा लेना चाहती थी। पप्पू की कमर को छोड़ते ही उसके चूतड़ उछल पड़े और मेरी ढीली चूत पर जम कर लण्ड को ठोकने लगा। साला लण्ड पूरी गहराई तक घुसता और बाहर आ जाता था। सुख से मैंने आंखें कस कर बंद कर ली। मेरी चूत भी फ़्री स्टाईल में उछल उछल कर उसका साथ देने लगी। जितनी जोर से वो धक्के मारता, मैं भी जवाब उतने ही जोश से तेज धक्का मार देती। इसी चक्कर में मेरे नसें खिंचने लगी ... जिस्म ऐंठने लगा ... सभी कुछ जैसे चूत से बाहर आ जाना चाहता हो ... मीठी सी जलन अब आग सी हो गई ... मैं झुलसने लगी ... जैसे जल गई ...

"आह पप्पू ... हरामी साला ... चुद गई ! हे मेरे मालिक ... गई मैं तो ... जोर लगा रे ... !"

उसके एक झटने ने अब मेरी आखिरी सांस भी निकाल दी ...

"ईईई ... आह्ह्ह्ह् ... निकला मेरा ... ऊईईईई ... पप्पू ... बस ऐसे ही चोदता रह ... मेरा पूरा निकल जाने दे ...! "

पर कहां ... वो तो धक्के मारते मारते ... खुद ही ढेर हो गया। और उसका माल निकल पड़ा। उसका वीर्य मेरी चूत में भरने लगा। नीता ने डिल्डो मेरी गान्ड से बाहर निकाल लिया। मैने दोनों हाथ बिस्तर पर फ़ैला लिये और जोर जोर से अपनी फ़ूली हुई सांसो को नियंत्रित करने लगी। पप्पू मेरे ऊपर से हट गया और नीता अब मुझे प्यार करने लगी ...

"मोना मेरी ... नये लण्ड का पूरा मजा आया ना ... मेरे पप्पू ने तुझे आनन्द दिया ना ... " नीता मुस्कराने लगी।

"नहीं नीता ... तेरा नहीं नहीं , अब तो वो मेरा भी पप्पू है" मैने भी अपनापन दिखाया।

पप्पू अब नीता के कपड़े उतारने में लगा था।

"हाय, मोना अब ये मुझे भी नहीं छोड़ने वाला है ... अब मैं चुदीऽऽऽऽ ... हाय !" नीता के मुँह से वासनाभरी आह निकल गई।

मैंने पप्पू की गाण्ड सहलाते हुये उसका लण्ड अपने मुंह में भर लिया। वो नीता की चूंचियां मसलने में लगा था। मेरी इच्छा अभी बाकी थी ... मेरी गाण्ड उदास हो चली थी कि अब ये नीता को चोदेगा तो वो दो बार झड़ जायेगा, फिर मेरी गाण्ड मारने जैस उसके लौड़े में दम रहेगा या नहीं। कुछ ही देर में पप्पू का लण्ड चूसने से वो फिर से तन्ना उठा, जैसे पप्पू मेरे मन की बात जान गया गया था। बोला,"नीता भाभी, मोना जी का काम तो निकल गया अब तो चली जायेगी, मेरा काम तो हुआ ही नहीं !"

"अच्छा, चल तू अपना काम पूरा कर ले ... फिर बाद में मुझे चोद देना ... बस ... !"

"क्या बात है ? कौन सा काम नीता ... ?" मैने जैसे अनजान बनते हुये कहा।

"बात ये है कि तेरे चूतड़ इसे बहुत पसन्द हैं ... तू जैसे ही मुड़ती है इसका लण्ड खड़ा हो जाता है ... !"

"हाय राम ... ऐसा मत कहो ... ।"

"हां सच ... अब ये तेरी गाण्ड मारना चाहता है ... प्लीज, चुदवा ले अपनी गाण्ड ... " नीता ने पप्पू की तरफ़ से कहा।

"मैं कैसे मानूं कि सच बोल रही है ... पप्पू ने तो कुछ कहा ही नहीं !" मैने शिकायत की।

"सच, मोना जी ... देखना मेरा लण्ड देखना आपकी गाण्ड में घुस कर कैसा खुश हो जायेगा।"

"तो चल खुश हो कर बता ... "

"आप कुतिया की तरह झुक जाईये फिर देखिये मैं कुत्ते की तरह आपकी गाण्ड मारूंगा !"

" हाय राम ... अच्छा ये देखो ... !" मैं कुत्ते की तरह बिस्तर पर झुक गई। मेरे दोनों चूतड़ कमल की तरह खिल गये। मेरी गोरी गोरी गाण्ड देखते ही उसके लण्ड ने सलामी मारी। दरार के बीच मेरे गाण्ड का कोमल फूल चमक उठा। जो पहले ही लण्ड खाने की लालसा में अन्दर बाहर सिकुड़ रहा था। पास पड़ी तेल की बोतल से पप्पू ने मेरे दरार के बीच नरम फ़ूल पर तेल की बूंदे टपका दी। उसका लाल सुपाड़ा गाण्ड के फ़ूल पर टिक गया और हल्के से जोर से ही गप से अन्दर घुस पड़ा।

"साली क्या गाण्ड है ... ! घुसते ही लण्ड पानी छोड़ने लगता है !" पप्पू ने एक आह भरी।

"नीता, हाय कितना नरम और प्यारा लण्ड है। तूने मुझे काश पहले बताया होता तो मैं इतना तो ना तरसती ... !"

"मोना, मेरी सहेली ... अब लण्ड खा ले ... देर ही सही, चुदी तो सही ... मजा आया ना !" नीता भी चुदासी सी मुझे देख रही थी। उसे भी चुदाने की लग रही थी। अब पप्पू का सब्र का बांध टूट चुका था, वो मेरी चूतड़ों पर मरता था ... उसका डण्डा मेरी गाण्ड को कस कर पीटना चाहता था, सो उसने अपनी कलाबाज़ी दिखानी चालू कर दी। उसका लम्बा लण्ड गाण्ड की गहराईयों को नापने लगा। मेरी गाण्ड में जबरदस्त झटके मारने लगा। मुझे तरावट आने लग गई। हल्की सी मीठी सी गुदगुदी एक बार फिर मुझे रंगीनियों की ओर ले चली। मेरे बोबे मसले जाने लगे।

नीता चुदाई की प्यास की मारी अपनी चूत को मेरे सामने ले आई और कातर नजरों से विनती की। मैंने उसकी टांगें मेरे मुँह के पास खींच ली और अपना मुँह उसकी चूत से चिपका लिया। मैं उसके बोबे पकड़ कर मसलने लगी। आलम ये था कि तीनो एक दूसरे पर दुश्मन की तरह जुटे हुये वो सब कुछ कर रहे थे कि किसी का माल बाहर निकल जाये। मेरी गण्ड पर लण्ड ऐसे मार रहा था कि जैसे उसका लण्ड किसी मोरी में सफ़ाई कर रहा हो। लण्ड जोर जोर से घुसेड़ कर वो मेरी गाण्ड चोद रहा था। गाण्ड में सुरसुरी से मीठी मीठी असहनीय सी गुदगुदी चलने लगी थी, अगर मेरी गाण्ड चूत की तरह झड़ जाती तो कितना मजा आता।

पर हुआ उल्टा ही ... मुझे पकड़ कर वो वासना भरी सीत्कार भरता हुआ गाण्ड के भीतर ही झड़ने लगा। मुझे निराशा सी होने लगी, शायद समझी थी कि ऐसे ही जिन्दगी भर गाण्ड चुदती रहे और मैं मस्ताती रहूँ। उधर नीता भी वासना की मारी झड़ने लगी और उसकी चूत ने पानी छोड़ दिया। पप्पू ने अपनी सारी मलाई मेरी गाण्ड में निकाल दी। उसका लण्ड सिकुड़ कर स्वत: ही बाहर निकल आया। वो वहीं बैठ गया और मैं चित्त पांव पसार कर औंधी लेट गई।

पप्पू भी अपनी बिखरी हुई सांसे समेटने लगा और सोफ़े पर जाकर धम से बैठ गया। मेरा काम हो चुका था। मैं आगे और पीछे से चुद चुकी थी। मैंने अपनी गाण्ड के छेद को तंग कर सिकोड़ लिया और झट से पजामा और टॉप पहन कर अपने घर भाग आई। नीता मुझे आवाज देती ही रह गई।

घर आकर मैं लेट गई और उसका वीर्य गाण्ड में रहे इसलिये उल्टी लेट गई। मेरे पजामें में वीर्य के धब्बे उभर आये थे। गाण्ड चिकनी और लसलसी हो गई थी पर मुझे एक अनोखा आनन्द आ रहा था। इसी आनन्द का लुफ़्त लेते हुये मेरी आंख जाने कब लग गई। पर नीता ने मुझे जगा दिया।

" ये क्या, जरा तेरा पजामा तो देख नीचे से पूरा गीला हो रहा है ... "

"ये पप्पू का वीर्य है रे ... जरा मजा तो लेने दे ... "

"उनके आने का समय हो रहा है ... मरना है क्या ... ?

मै चौंक गई, देखा तो पांच बज रहे थे ... ना तो खाना बनाया था और ना ही चाय ... नहाया धोया भी नहीं था ... सब कुछ छोड़ कर मैं नहाने भागी ... सोचा चुद तो कल लेंगे

... ये आनन्द तो रोज ले सकते हैं। पर कहीं उनको इसकी भनक भी लग गई तो फिर ... ...

ननद के आशिक से चुद गई बन्नो !

अब मैं अंतर वासना की पक्की पाठक बन चुकी हूँ ! जबसे इस वेबसाइट से नाता जोड़ा है, मेरी जवानी की प्यास और बढ़ने लगी है ! जब लोग अपनी बिस्तर की हरक़त हकीकत में अन्तर्वासना पे ले आते हैं तो सोचा, मैं भी अपनी एक ऐसी चुदाई सबके सामने लाऊँ जो मुझे कभी नहीं भूलेगी !


दोस्तों ! मैं एक बहुत ही चुदासी औरत हूँ ! स्कूल से लेकर कॉलेज टाइम में मैंने बहुत नाम कमाया! लड़कों के साथ मेरे किस्से जुड़ने आम बात थी! कॉलेज के अच्छे से अच्छे लड़के के साथ मेरा नाम जुड़ता ! कम उम्र के लड़कों का चस्का मुझ में हवस डाल गया!


तभी मेरे कॉलेज के किस्से जब घर तक आने लगे तो माँ ने लड़का ढूंढ़ लिया और मेरी शादी का फैसला ले लिया, जिसका मैंने बहुत विरोध किया और माँ को कई खरी खोटियाँ सुनाई ! आखिर उनके ही बनाये गए माहौल में जो देख देख कर बड़ी हुई थी !


खैर, छोड़ो इस बात को !


आखिर मुझे हां करनी ही पड़ी और मैंने एक लड़के के लिए हां कर दी और शादी करवा के ससुराल आ गई ! यहाँ मेरा ज्यादा वक़्त तो घरेलू काम काज में निकल जाता! अपनी सारी शौकीनी अब काम में लगने लगी! टाइट सूट डाल कर लड़कों को बहकाना और फिर उनसे चुदवाना सब कुछ अब पीछे रह गया !


अपनी ननद के साथ मेरी बहुत पटती थी और मैं उसको उसके आशिकों से मिलने में उसकी मदद करती रहती! मेरे पति का लौड़ा इतना बड़ा नहीं था, ऊपर से मेरी रांड ननद सुन्दर - सुन्दर लड़कों से मिलती ! उसका एक आशिक उसे आधी रात को मिलने आता था और कभी कभी उसको चोद भी लेता था ! सब मिलना मिलाना मेरे राह से निकल कर जाता था ! मैंने जल्दी ससुराल में पकड़ बना ली ! मैं किसी से डरती नहीं थी! अब कोई काम-काज किस से कैसे करवाना है, जान गई थी !

उसके आशिक ने जिस रात मिलने आना होता, वो मेरे मोबाइल पे ही कॉल करता और पूछ लेता की आज गीता कहाँ सोयेगी, उसको कहना चौकन्नी रहना !


एक दिन मेरे दिमाग ने पलटी खाई, सोचा अब जब उसका फ़ोन आयेगा तो तो तो  ????


वैसा ही हुआ शाम को मुझे कॉल आई ! उस दिन मेरे पति घर पे नहीं थे! मैंने उसको कह दिया कि आज गीता मेरे कमरे में होगी क्यूंकि मैं आज सासू माँ के कमरे में सो जाउंगी ! तू आराम से मिलना, पिछली खिड़की खुली होगी !

वो बोला- ठीक है भाभी !


मैंने गीता को कुछ नहीं बताया और आराम से अपने कमरे में सो गई और कमरा बंद कर लिया !


करीब रात १२ बजे उसने दस्तक दी ! बत्ती बंद थी, उसने टॉर्च से बेड ढूंढा ! मैंने भी बारीक सी कुर्ती डाली थी ! वो मेरी चादर में घुस गया, मैं भी उसके साथ लिपट गई !


उसने अपने होंठ मेरे होंठों पे रख दिए और चूसने लगा- गीता मेरी जान !

मैं भी गरम हो उसका साथ देने लगी ! उसने मेरी कुर्ती में हाथ डाल मेरे मम्मे दबाने शुरु कर दिए !


वहां से उसको शक हुआ ! मेरे मम्मे गीता से कहीं ज्यादा सेक्सी और गोल थे ! उसने टॉर्च चेहरे पर की !


मैंने आंख मारते हुए कहा,"हाय राकेश ! और मसल न !"


भाभी.......... आप ??


"हां मैं ! क्यों क्या हुआ ??


वो ख़ुशी से पागल हो गया- वाह भाभी ! जिसके बारे में सोचते हुए गीता को चोदता हूँ, मुठ मारता हूँ, वो आज मेरे नीचे लेटी है !!


मैंने अपनी कुर्ती उतार फेंकी और उसको नंगा करते हुए उसका मोटा लौड़ा निकाल लिया !


"हाय ! क्या शानदार लौड़ा था उसका ! कितना मोटा लंबा !"


वो मेरे मम्मे को चूसने लगा ! मैं, हाय ! हाय ! करने लगी ! मैंने भी उसको पीछे लिटा कर उसका लौड़ा मुहं में डाल कर चूसना शुरू किया !


"ओह मेरे राजा, चोद मुझे ! हाय बहुत दमदार है ! कब से तेरा मूसल अपनी चूत में डलवाना चाहती थी!"


अभी ले, मेरी कमीनी कुतिया ! भाभी, तेरा यह  देवर है न तुझे रौंदने के लिए !


"हाय रानी, तू तो साली गीता से भी ज्यादा बढ़िया माल है !"

तजुर्बा है, लल्ला जी !


"हाय……. !!!!”


उसने ६९ में ला मेरी चूत पे जैसे तपते होंठ रखें, मैं सी सी सी करने लगी और उसने अपनी ज़ुबान के खेल से मुझे मोहित कर दिया !! बोला अब चोद दूँ ?? सब जाग जायेंगे !


"हट साले, मेरे कमरे में कौन आयेगा ?


यह कह कर मैंने टांगें खोल दी और उसको बीच में आने को कहा और उसने अपना मूसल लौड़ा चूत पे रख घस्सा मारा (पंजाबी में झटके को घस्सा कहते हैं) !


"हाय और घस्से मार ना कस कस के !


"हाय ! साईं, तेरी दीवानी रांड भाभी तुझसे चुदाना चाहती है !"


"कम ओन, फाड़ डाल !" हाय !!! और और और !!!!!!!!!


वो भी ज़बरदस्त प्रहार करने लगा और और मेरे बालों को नोंचते हुए कहा,"चल बहिन की लौड़ी, बन जा घोड़ी !


" यह ले, यह ले !!"


मैंने घोड़ी बन गांड उठा ली उसने तेज़ तेज़ धक्के मारे और मैं झड़ गई !! मैंने उसे कहा- मैं झड़ गई ! हाय !!

उसने बाहर निकाला और थूक लगा कर गांड में डालते हुए करीब ५ मिनट की चुदाई में सारा माल मेरी गांड में डालते हुए मुझ से लिपट गया ! मैं भी बेल की तरह उसके बदन से चिपक गई !!


पूरी रात में मैंने उस नौजवान पट्ठे को निचोड़ दिया !!


“वो ठहरा था गीता की कभी-कभी लेने वाला और मैं थी जनम जनम से प्यासी चुदाई की हसीना !!!!!!"


उसका बुरा हाल हो गया ! उसने सोचा नहीं होगा कि सारी रात दम लगाना पड़ेगा ??


खैर !! अपनी ननद के आशिक से चुद गई आपकी बन्नो !!!


मेरे प्यारे पाठको, अब आपके लौड़ों का इंतज़ार रहेगा  ई-मेल्स के ज़रिये !!!!!!!!

लाडो रानी का उदघाटन समारोह

जबसे मेरी दीदी गीता मेहरा के ज़रिये मुझे इस वेबसाइट का पता चला, मैंने उनकी बताई साईट खोली। जब कहानियाँ पढ़ी तो लोगों की बिस्तर की बातें इसमें देख मेरी तो चूत गीली हो गई थी। मैं भी अपनी जिन्दगी का पहला सेक्स आपके सामने लाकर शुरुआत करने जा रही हूँ, उम्मीद से दुनिया कायम है, मुझे आशा है कि मेरी यह चुदाई जल्द ही आप सबके सामने अन्तर्वासना के ज़रिये आपकी कंप्यूटर स्क्रीन पर होगी।

मेरा नाम वैशाली, ५ फुट ५ इंच कद, गुन्दाज़ बदन, गोरे-चिट्टे मखमल जैसे वक्ष ! मै बारहवीं जमात की छात्रा हूँ। पहले हम एक संयुक्त परिवार में रहते थे, चाचू-चाची, बुआजी, ताया-ताई, घर इतना बड़ा नहीं था, इसलिए मैं चुदाई के लाइव सीन देख देख बड़ी हुई।

एक दिन चाचू-चाची अकेले थे। मैं तबीयत ठीक न होने की वजह से पहले घर आ गई। चाचू के कमरे से सिसकी की आवाज़ सुन मैं पिछली खिड़की की ओर बढ़ी। मैं जब मॉम-डैड के बीच सोती थी तो कई बार डैड को मॉम पर सवार होते देखा था, लेकिन अच्छी तरह से नहीं देख पाई। आज मौका था, अन्दर चाचू बेड के किनारे बैठे थे नंगे, चाची फर्श पर घुटनों के बल बैठी चाचू के लौड़े को मजे ले ले कर चूस रहीं थी। फिर चाची बिस्तर पर आई। नंगी चाची को चाचू ने लिटा अपना लौड़ा चाची की चूत में घुसा दिया। यह देख मेरी पैंटी भी गीली हो गई।

फिर डैड ने शहर में आकर अपना बढ़िया मकान बनाया और हम शहर आकर बस गए। गाँव में पंजाबी मीडियम से सातवीं जमात तक पढ़ी, वो एक कन्या-विद्यालय था। यहाँ आकर मैंने एक प्राइवेट और अंग्रेजी मीडियम लड़के-लड़कियों के स्कूल में मैंने आठवीं में दाखला लिया और मेरी सहेलियां भी बन गई। हमारा चार लड़कियों का ग्रुप बन गया। श्वेता, मरियम, नूरी और मैं !

उनका अभी से लड़कों में ध्यान था, नूरी का तो अफेअर भी चल निकला था। हमारे ग्रुप की चर्चा चालू लड़कियों में होती थी। अब मेरी जवानी भी अंगड़ाई लेने लगी। सबमें से मेरी जवानी की बातें लड़कों में ज्यादा होने लगी। सब जब घर से निकलती तो लड़कों की निगाहें मेरी छातियों पर रहने लगी। देख देख मुझे मजा आने लगा। तभी मुझे मेरे ही स्कूल में पढ़ने वाले अमृत नाम के एक लड़के ने मुझे परपोज़ किया। उसको मैंने कोई जवाब नहीं दिया।

जब मैं स्कूल से घर जाती तो मेरे पीछे होंडा सिटी कार में एक दूसरा लड़का आने लगा हर रोज़ सुबह और स्कूल के बाद ! बहुत हैण्डसम था, बड़े घर का लड़का था। उसने मुझे एक दो बार कार पास लाकर अपना मोबाइल नंबर दिया, मेरे साथ नूरी भी रहती थी, उसने नंबर पकड़ के रख लिया और मुझे कहने लगी- पटा ले मेरी जान ! और क्या चाहिए !

मैंने कहा- जो अमृत ने परपोज़ किया उसका क्या?

उसको स्कूल तक सीमित रख !

मैंने नूरी से नंबर लिया, दोनों पास की एस.टी.डी पर गई और कॉल की। उसने अपना नाम करण बताया और मुझे कहा- मैं आप पर फ़िदा हूँ प्लीज़ !

मैंने उसको हाँ कर दी।

वो बोला- मैं इसी मार्केट में ही हूँ ! चलिए मैं आपको घर छोड़ देता हूँ, प्लीज़ मना मत करना ! मुड़ कर देखो !

मैंने केबिन से देखा, उसने हाथ हिलाया। नूरी का घर पास था, वो पैदल चली गई। मैं उसकी कार में बैठ गई। कुछ देर ऐसे ही घूमते रहे। उसने मेरा हाथ पकड़ा- आप बहुत सेक्सी हो, बहुत सुन्दर हो !

उसने हाथ पर किस किया- आई लव यू सो मच !

मैंने कहा- आई लव यू टू !

उसने पास खींचते हुए मेरे होंठों पे किस कर दी, मुझे करंट सा लगा। उसने कार साइड पर कर मेरे होंठ चूसने शुरु किये।

मैंने कहा- प्लीज़ छोड़ो न !

वो बोला- कितने दिन से आपके इन होंठों का रसपान करने का दिल था ! आप कहती हैं छोड़ो !

मुझे भी कुछ होने सा लगा- मैं भी लिप-किस में उसका साथ देने लगी। पता ही नहीं चला कब उसका हाथ मेरी शर्ट में घुसता हुआ मेरे मम्मों तक पहुँच गया। उसने सीट पीछे कर दी और मेरे ऊपर बैठ गया। एक हाथ उसने मेरी स्कर्ट में डाल मेरी जांघें सहलाने लगा। मैं इतनी गरम हो गई कि सब भूल गई। बस दोनों जवानी के जोश में एक दूसरे में खोने लगे।उसने बटन खोल मेरा मम्मा ब्रा से निकाल लिया और उसको मसलने लगा। मुझे तब होश आया जब मैंने उसका हाथ अपनी पैंटी पर महसूस किया। एकदम से अलग होकर हांफने लगी। वो बोला- क्या हुआ?

प्लीज़ ! हम सड़क पर हैं, कोई पकड़ लेगा तो आफत आ जायेगी !

बोला- इसको तो छोड़ो !

एकदम से मैं चौंक गई, मेरा हाथ उसके लौड़े पर था। मैं शरमा सी गई। उसने कहा- कोई नहीं आयेगा ! इतनी कड़ी गर्मी में कौन आएगा !

फिर भी उसने मुझे घर छोड़ दिया। बाथरूम में जाकर अपनी पैंटी देखी जो गीली हो गई थी। अपने मम्मे पर जब उसके दांत का निशान देखा तो मुझे अजीब सी हलचल हुई। उसके बाद कुछ दिन ऐसे ही कार में मिलते रहे। घूमने के बहाने चूमा-चाटी चलती रही।

एक रोज़ जब मैंने शाम को उसको कॉल किया। उसने कहा- आज ट्यूशन मिस कर दो, एअरपोर्ट रोड की तरफ घूमने जायेंगे। वहां सुनसान सी एक सड़क है।

मैंने कहा- ठीक है ! मुझे पिक कर लो ! ए एन टी ए आर वी ए एस एन ए .सी ओ एम

हम निकल पड़े। वहां एक रेस्तराँ था, बिलकुल एअरपोर्ट के कार्नर पर था, वहां कई लोग अपनी अपनी कार में ही बैठे थे। आज वो अपनी बड़ी कार लाया था। उसने पार्किंग की बजाये वो साथ वाली खाली सड़क पर कार मोड़ ली और रेस्तराँ के पीछे ले गया। वहीं वेटर आया। उसने अपने लिए चिल्ड बियर ली, मैंने कोल्ड काफी आर्डर की।

उसने मुझे बाँहों में लिया। अब तो हम दोनों घुल मिल चुके थे, उसने फोर्ड एंडवर की सीट फ्लैट की। लग्ज़री कार किसी फाइव स्टार होटल से कम नहीं थी। मैंने उसका साथ देते हुए खुद ही उसके होंठ चूसने शुरु किये। वो मेरे मम्मों को बेरहमी से मगर मजा आने वाले अंदाज़ में मसल रहा था। मैं गरम होने लगी और उसने मेरा टॉप उतार दिया। मैंने अपनी ब्रा की स्ट्रिप खोल दी जिससे मेरे दोनों कबूतर आज़ाद हो गए। उसने उड़ते कबूतर पकड़ने में वक्त न लगाया और टूट पड़ा मुझे पर। मैं भी पूरी गर्म हो चुकी थी, मैं लगातार उसके लौड़े को मसल रही थी। उसने मेरी जींस खोल कर घुटनों तक सरका दी और आज खुल कर मेरी जांघें सहलाने लगा।

उसने स्पोर्ट्स ड्रेस डाली थी, मैंने भी लोअर खींच के नीचे करके उसके लौड़े को हाथ में पकड़ लिया, पहली बार इतना खुलकर पकड़ा था। मेरे हाथ लगते ही फनफ़ना उठा उसका लौड़ा ! इतने में वेटर आया। उसने कहा- खुद पी ले और बिल ले जाना ! वेटर बोला- जी साहिब !

स्टार्ट कार, ए.सी ओन किया हुआ था, फिल्मिंग वाले शीशे थे, उसने सीट पूरी फ्लैट कर दी, बिस्तर सा बन गया। खींच कर मेरी जींस उतार दी और अपना लौड़ा मेरे होंठों पर रगड़ने लगा। मैंने झट से उसके लौरे को मुँह में डाल लिया और अच्छी तरह चूसने लगी। मुझे बहुत अच्छा लग रहा था। उसने थोड़ा चुसवाने के बाद मुझे पीछे लिटाते हुए बीच में बैठ अपना लौड़ा मेरी सील बंद चूत पे रखा। एक बार सोचा कि पता नहीं कैसे यह घुसेगा?

कार के आस पास दूर तक कोई न दिख रहा था। उसने मुझे पूरी नंगी कर दिया था खुद नीचे घुटनों तक ! मैंने सोचा- चल वैशाली ! आज तेरी लाडो रानी का उदघाटन समारोह कैसा रहेगा ? !

उसने झटका दिया और लौड़े का सर मेरी चूत में फंस गया। उसको भी तकलीफ हो रही थी। मैंने कस के सीट के कपड़े को पकड़ रखा था। उसने दूसरे झटके में आधा लौड़ा अन्दर डाल दिया। मेरी जान निकल गई- निकाल लो प्लीज़ ! यहाँ अच्छे से नहीं होगा ! जगह कम है, बहुत तकलीफ होगी ! दोनों का ही पहली बार है। लेकिन उसने तीसरा ऐसा झटका मारा कि लौड़ा पूरा घुस गया। मेरी चीख निकल गई। खून टपकने लगा ! आँखों में आंसू आ गए !

उसने मेरे होंठ अपने होंठो में ले रखे थे ताकि चीख न निकले। उसने फिर सारा निकाल के डाला ऐसे तीन चार बार जब किया तो दर्द की जगह मजे ने ले ली। आंखें खुद ब खुद बंद होने लगीं। उसके एक एक झटके का मुझे इतना मजा आया कि सिसकारी ले ले कर मैं चुदवाने लगी- हाय और करो ! और करो !

अचानक मुझे अपने अन्दर से कुछ गरम गरम सा पानी महसूस हुआ, मैं झड़ गई और मेरी चूत की गर्मी में तीन चार मिनट बाद ही करण भी झड़ गया। दोनों हांफने लगे। उसने कार में पड़ा एक कपड़ा मुझे दिया, जिससे मैंने अपनी चूत को साफ़ कर लिया, खून साफ़ किया !

दोनों ने कपड़े पहन लिए और सामान्य होकर एक दूसरे की बाँहों में लिपट गए। उसने मेरे होंठ चूमते हुए कहा- कैसा लगा?

बहुत अच्छा लगा !

सुबह उठने पर चूत पर सूजन सी थी, चलने में थोड़ी सी अजीब लग रही थी। नूरी इन कामों में से कई बार निकली थी, उसने मुझसे सब कुछ बकवा लिया। अन्तर्वासना पर इसके छपते ही मैं अपनी करण के अलावा किसी से चुदवाई लेकर सबके लौड़ों पर बैठने आऊँगी।

Wednesday, January 5, 2011

मेरी प्यारी मामी

मई अमृतसर से बोबी, यह बात तीन महीने पुरानी है जब मैं गर्मी की छुट्टी में अपने नाना नानी के घर गया था वहां मेरे मामा मामी रहते थे मेरी मामी मस्त माल थी हमेशा बड़े गले का कुरता पहना करती थी उनको देख कर मेरा मन डगमगाता था ऐसा लगता था जैसे वो मुझे अपनी ओर आकर्षित करती थी मैं बार बार उनके झुकने का इन्तज़ार करता रहता था। मेरी मामी का नाम सोनिया है। मुझे जब भी लगता था कि वो झुकने वाली है तो मैं सामने जाकर खड़ा हो जाता था और तिरछी नज़र से उनके बड़े बड़े गोरे गोरे और चिकने चिकने बूब्स को देखा करता था मुझे उनके बूब्स बेहद पसन्द थे, मुझे उन्हे छूने का बेहद मन करता था कभी कभी जान बूझ कर मैं उनसे सामने से जाकर टकरा जाता था और बड़ी होशियारी से उनके बूब्स को छू लिया करता था। लेकिन इतने में मेरा मन नहीं भरता था। मैं उन्हे सहलाना चाहता था वो बहुत गोरी है। उनको देख कर मुझे उनको चोदने का मन करता था। वो बहुत गदराई हुई बदन की है मैं भी वैसा ही हूं। एक दिन मेरे मामा को कुछ काम से ६ दिनो के लिये दुबई जाना पड़ा। मैं घर के हाल में बैठा ही था तब मेरी मामी हाल में आयी और उन्होने मुझे एक चिट्ठी दी उस चिट्ठी में लिखा था "मैं तुमसे कुछ कहना चाहती हूं मुझे तुम्हे देखते ही कुछ कुछ होता है मैं तुम्हारे साथ अकेले में कुछ वक्त गुज़ारना चाहती हूं ये बात मैं ने चिट्ठी में इसलिये कहीं क्योंकि मुझे शरम आ रही थी अगर तुम मुझसे मिलोगे तो आज रात ११.०० बजे मेरे कमरे में आ जाना और तुम्हारी ओर से हां है तो चिट्ठी मुझे वापस लौटा देना मैं तुम्हारा इन्तज़ार करुंगी"। ये पढ़ कर तो मेरा मन ही उछल पड़ा, मैं ने तुरन्त वो चिट्ठी उनको वापस लौटा दी और ११ बजने का इन्तज़ार करने लगा।

रात हो चुकी है ११ बज रहे है मैं कमरे में चला गया कमरे के अन्दर घुसते ही मैं ने देखा कि मेरी मामी काले रंग की नाइटी पहनी हुई थी उन्हे देख कर ऐसा लग रहा था कि उन्होने अंदर कुछ भी नहीं पहना है। उनके बड़े बड़े बूब्स मुझे दिख रहे थे। मुझे समझ नहीं आ रहा था कि मैं शुरुआत कहां से करुं। तभी अचानक मेरी मामी ने मेरा हाथ पकड़ लिया ये उस हसीन रात की शुरुआत थी। मैने भी मामी की कमर को पकड़ के अपनी ओर खींच लिया और उन्हे चूमने लगा। उनके गालों को चूमते चूमते मैं उनके होंठों तक पहुंच गया। जब मैने देखा कि मेरी मामी मेरे चुम्मो का आनंद ले रही है तो मैने अपना हाथ उनके बूब्स पर रख दिया। मेरे हाथों ने जैसे ही उनकी चूचियों को छुआ वो कांप सी गयी मुझे उनके बूब्स छूने में बहुत मज़ा आ रहा था। वो बहुत नरम थे तभी मैने उनकी नाइटी को उनके कंधे से नीचे उतार दिया उनके चिकने बूब्स अब पुरी तरह से मेरे हाथ में थे मैने अपनी उंगलियों से उनके गुलाबी निप्पल को रगड़ना शुरु किया तो वो काफ़ी उत्सुक हो गयी और मेरे लंड को कस कर पकड़ लिया। मैं अपना चेहरा उनके बूब्स के पास ले गया और अपने गालो और जीभ से उनके बूब्स को सहलाने लगा। मैने अपने हाथ से उनके बूब को पकड़ लिया और छूने लगा ऐसा करते ही मेरी मामी पागल सी हो गयी उन्होने मेरा लंड और कस कर पकड़ लिया और सहलाने लगी फिर मैने अपनी पैंट की ज़िप खोली और अनपे छोटु को निकाल के उनके हाथ में दे दिया। मेरी मामी बहुत अच्छी तरह से मेरे छोटु को सहला रही थी तभी मैने उन्हे पलंग पर बैठा दिया और उनके सामने जाकर खड़ा हो गया। वो समझ गयी कि मैं चाहता था कि वो मेरे लंड को चूसे उन्होने मेरे लंड को कस कर पकड़ा और चूमने लगी।

मैने उन्हे अपने लंड को मुंह में लेने को कहा उन्होने मेरे छोटु के सामने वाले हिस्से को जिसे हम सुपाड़ा कहते हैं उसे मुंह में ले लिया मुझे काफ़ी मज़ा आ रहा था मैं और मज़ा लेना चाहता था मैने अपनी मामी के सिर को पकड़ा और अपना लंड को और अन्दर घुसाता चला गया देखते ही देखते मेरा पूरा का पूरा लंड उनके मुंह के अन्दर था मुझे काफ़ी मज़ा आ रहा था मुझे लगा कि मेरा लस कहीं उनके मुंह में ही न गिर जाये इसलिये मैने अपने छोटु को निकाल लिया। उसके बाद पता नहीं मामी को क्या हुआ मामी ने फिर से मेरा लंड चूसना शुरु कर दिया मेरा लंड फ़ुलसाइज़ का हो गया था फिर मैं पूरा नंगा हो गया मामी की नाइटी भी पूरी उतार दी उनको नंगा देखकर मेरा लौड़ा पूरा सनसना उठा अब मेरे लौड़े को कुछ चाहिये था तो वो थी मामी की चूत मैं ने मामी को बिस्तर में लिटा दिया और उनके ऊपर चढ़ गया और अपने लंड से उनकी चूत को सहलाने लगा फ़िर थोड़ी देर बाद जैसे ही अपना लंड उनकी चूत में डाला तो मेरी मामी के मुंह से आवाज़ निकली "आऊउछह्हह" ऐसा लगा जैसे मामा ने उन्हे कभी चोदा ही नहीं। मैं ने कन्डोम भी नहीं लगाया था मैं ने अपनी मामी को कस के पकड़ लिया और अपना लंड और अन्दर घुसाता चला गया मेरी मामी दर्द से सिमट सी गयी थी। थोड़ी देर बाद उन्हे भी मज़ा आने लगा मैने जब चोदते हुए अपनी मामी के चेहरे की तरफ़ देखा तो वह आंखें बंद कर के मुस्करा रही थी उन्हे काफ़ी आनंद आ रहा था। फिर मैने अपनी मामी को घोड़ी बनने को कहा वो दोनो घुटनो और हाथो के बल अपनी गांड मेरी तरफ़ करके लेट गयी।

मैने अपने हाथो से उनकी गांड को पकड़ कर पहला दिया मुझे उनकी गांड का छेद नजर आ रहा था। मेरा लौड़ा उसमे घुसने को बिल्कुल तैयार था मैने अपना लौड़ा जैसे उनकी गांड में टिकाया तो मेरी मामी ने मना कर दिया कहने लगी कि गांड में घुसाने में बहुत दर्द करता है। लेकिन लौड़ा है कि मानता नहीं मैं ज़िद करने लगा तो मामी मान गयी और कहा कि धीरे धीरे घुसाना मैं अपना लौड़ा ले कर तैयार हो गया और घुसाने लगा मैं जानता था कि मामी को दर्द हो रहा है लेकिन मुझे मज़ा आ रहा था उनकी गांड का छेद बहुत छोटा और टाइत था बहुत मुश्किल से अन्दर घुस रहा था मैने भी पूरा ज़ोर लगा दिया। धीरे धीरे जगह बनती गयी और छेद फैलने लगा मेरा लंड और अन्दर घुसता चला गया। मैं अपने लंड को अन्दर बाहर करता गया मामी की चिकनी चिकनी गांड में मेरा लंड मज़े कर रहा था फिर मैने अपना लंड उनकी गांड से निकाल लिया और मामी को लिटा दिया और उनके पेट पर बैठ गया और अपने लंड को दोनो बूब्स के बीच सहलाने लगा मैने अपनी मामी से कहा कि क्या चिकनी चूची है तो मामी शरमाने लगी। मैने अपनी मामी से कहा कि मेरे लंड को चूसो न तो मामी ने मेरे लंड को पकड़ा और अपने गालों से सहलाने लगी और मुझसे पूछा कि कैसा लग रहा है मैने कहा पहले चूसो तो। तब मामी मेरे लंड को अपनी जीभ से चूसने लगी और दातों से काटने लगी मैं तो मज़े में पागल हो रहा था मुझसे सहा नहीं गया और मैने उनके मुंह में ही गिरा दिया मामी मेरे लस को चाटने लगी। मेरी मामी ने कहा कि ये तूने क्या किया मैं समझ गया कि मामी अभी और चुदवाना चाहती है। मैने कहा कि घबराओ नहीं अभी मैं तुम्हे और चोदुंगा। लेकिन मेरा लंड मुरझा गया था।

मैं अपनी मामी के बूब्स को पकड़ के चूसने लगा और अपनी मामी की चूत को अपनी उंगलियों से सहलाने लगा मामी में अभी भी बहुत जोश बाकी था। उन्होने भी मेरे लंड को सहलाना शुरु कर दिया। धीरे धीरे मेरा लंड फिर से तनने लगा था जैसे ही मेरा लंड थोड़ा कड़ा हुआ मेरी मामी ने उसे अपने मुंह में ले लिया और कस कस के चूसने लगी वो मुझसे किसी भी हाल में और चुदवाना चाहती थी मेरे लंड को बार बार अपने मुंह में घुसाती और निकालती। वो मेरे लंड को इतनी जोर से चूस रही थी कि उनके चूसने की आवाज़ आने लगी मेरा लंड भी अब तैयार हो गया था मैं भी उनके चेहरे को हाथ में लेके अपने लंड को अन्दर ठेलने लगी, क्या मज़ा आ रहा था। मामी ने कहा कि मुझे और चोदो न तभी मैने अपनी मामी को लिटा दिया और उनकी जांघ को चाटने लगा चाटते चाटते मैं उनकी कमर तक पहुंचा तो देखा कि मेरी मामी मज़े में तिलमिला उठी तभी मैने उनकी १ टांग को अपने कंधे पर रख लिया और अपने लंड को उनकी चूत में टिका दिया और अन्दर घुसा दिया और फ़िर इतनी रफ़्तार से चोदा उनको मामी बोल रही थी थोड़ा धीरे धीरे करो मामी की चूत गीली हो गयी थी चोदने में और मज़ा आ रहा था मेरा लंड चूत में आसानी से फ़िसल रहा था मैं ने मामी की चूत ढीली कर दी थी मुझे डर था कि मामा को पता न चल जाये क्योंकि मामी की चूत बहुत टाइट थी।

और मैं ने चोद चोद कर उसे ढीली कर दी थी फिर मैं ने मामी को कहा कि चलो कोई और स्टेप करते है मामी ने मुझे पलंग में लेटने को कहा और मेरे ऊपर चढ़ गयी वो अपने बूब्स के निप्पल को मेरे होंठों के पास लाने लगी मैं उनके निप्पल काटने लगा फ़िर वो मेरे लंड को पकड़ के मेरे लंड से अपने चूत को सहलाने लगी फ़िर धीरे धीरे अन्दर घुसाने लगी मामी मेरे लंड के ऊपर बैठ गयी और हिलने लगी, मुझे बहुत मज़ा आ रहा था जब वो मेरे ऊपर बैठ कर हिल रही थी तब उनके बड़े बड़े बूब्स हिल रहे थे वो नाज़ारा मैं कभी नहीं भूल सकता मामी के गोरे गोरे दूध और गुलाबी गुलाबी निप्पल मामी अपने हाथ से अपने बूब्स को सहला रही थी और अपने निप्पल को दबा रही थी मैने फ़िर मामी की गांड को कस कर पकड़ा और निकोटने लगा फ़िर मैं ने मामी को नीचे लिटा दिया और मेंढक की तरह चढ़ गया फ़िर मैं मामी को ज़ोर ज़ोर से चोदने लगा मामी अपने दोनो हाथो से मेरी गांड को पकड़ने और मारने लगी मैने चोदना और तेज़ कर दिया मामी की चूत से पानी छूट गया और मैं ने भी अपना लस अन्दर ही गिरा दिया मामी ने कहा कि मुझे ऐसा कभी किसी ने नहीं चोदा है मैं एकदम ही लस्त पड़ गया था कुछ करने की हालत में ही नहीं था। घड़ी की तरफ़ देखा तो ४ बज रहा था। ये चुदाई मैं ने पूरे ६ दिन की और जब भी मैं वहां जाता हूं तब तब मामी को किसी न किसी बहाने से होटल ले जा कर चोदता हूं।

मैडम के घर जाके चोदा

हाय, मेरा नाम सितांषु है। मैं अभी बंगलौर में रहता हूं और ये मेरा पहला संदेश है आप लोगो के पास। इसका मतलब ये नहीं के ये मेरा पहला सेक्स अनुभव है। इससे पहले मैने बहुत सेक्स किया है लड़कियों और आंटिओं से भी। पहले मैं अपना परिचय देता हूं। रंग गोरा, ५.६", २४ साल, ग्रेजुएट । और एक बात जो आप लोगों को शायद बुरा भी लगे कि मैं अपने आपकी तारीफ ज्यादा करता हूं मगर ये सच है कि मैं अपने हाई स्कूल से लेकर स्नातक होने तक हैंडसम नाम से ज्यादा फ़ेमस था भुवनेश्वर में। और जो लड़कियां मेरे साथ सेक्स एन्काउंटर में रात गुजारते थे वो मेरे साथ टाउन में घूमने के लिये भी ख्वाहिश रखते थे। खैर मैं अपने बारे में कुछ ज्यादा ही बोल रहा हूं ये तो आपको मुझसे मिलने के बाद ही पता चलेगा कि मैं कितना अच्ची तरह से स्थिति सम्भाल लेता हूं।

ये स्टोरी ३ साल पुरानी है तब मेरे परिवार के साथ में मेडिकल कालोनी में रहता था और मैं इंजीनियरिंग की पढ़ाई कर रहा था। तभी मेरे पड़ोस में एक परिवार का आगमन हुआ। फ़ैमिली में पति, पत्नी और एक ३ साल का बच्चा। वैसे भी कालोनी में और भी कई भाभियां थी पर नयी भाभी के सामने सब फ़ीका पड़ने जैसा लगता क्योंकि वो नये थे तो मैं कभी कभी उनका मार्केटिंग भी कर लेता। मुझे घूमने का मौका मिल जाता और आंटी को देखने का और कभी कभी थोड़ा थोड़ा छूने का भी। इसी बीच एक महीना बीत गया और भाभी हमारे घर के साथ भी घुल मिल गये। उनके पति और पापा में भी गहरी दोस्ती हो गयी। एक दिन एक शादी में हमे और भाभी को भी न्यौता मिला था पर मम्मी को कुछ काम था सो भाभी भी जाने के लिये मना कर दिया। सो पापा और भैया (भाभी के पति)चले गये। पार्टी कालोनी से ३० किलो मीटर के दूरी पर था और आते वक्त जोर की बारिश के वजह से पापा ने रात के करीब ९ बजे ममा को फोन में कहा के मुझे आंटी के घर जा के सोने के लिये।

फ़िर क्या मैं खाना खाकर १० बजे भाभी के घर चला गया। घंटी बजाई और भाभी ने झट से दरवाज़ा खोल दिया। तभी मैं भाभी को देख कर दंग रह गया। अरे बातों बातों में मैं तो भाभी का फ़ीगर आउट भी नहीं कर पाया। गोरी चिट्टा, लम्बे घने बाल, ब्रेस्ट आगे जितना, गांड उतना पीछे, शोर्ट कट बोले तो ३६-३०-३६ ५.३ ", इतने सारे फ़ीगर के साथ साथ काली नाइटी, जैसे लगा कि आसमान की कोई परी नीचे घूमने आयी हो। फ़िर हम दोनो अंदर आ गये भाभी ने कहा तुम बैठो मैं दूध लाती हूं, मैं वहीं सोफ़े पर बैठ गया। थोड़ी देर में भाभी दूध लेकर आ गयी एक गिलास मुझे दिया और एक गिलास खुद लेकर मेरे पास सोफ़े पर बैठ गयी। और एक अंग्रेजी फ़िल्म देखने लगे जिसमे सिर्फ़ २-३ किसिंग सींस ही थे, उन्होने मुझसे पूछा कि क्या संदीप तुमहारी कोई गर्लफ़्रेंड है या नहीं।

मैं घबरा गया कि भाभी क्या पूछ रही हैं क्योंकि इससे पहले कभी ऐसी बात हमारे उनके बीच में नहीं हुई थी। मैने इंकार में सर हिला दिया तो कहने लगी कि तुम तो लड़कियों कि तरह शरमा रहे हो, मैने कहा नहीं भाभी ऐसी कोई बात नही है। तो उन्होने कहा कि एक बात बताओ तुमने आज तक कभी किसी लड़की या औरत को नंगा देखा है तो मैने जान बूझकर कहा नहीं भाभी आज तक नहीं देखा है, वो मेरे बगल में बैथी थी और जब बातें कर रही थी तो मैं बार बार उनके मम्मो की तरफ़ देख रहा था, भाभी ने मुझे देखते हुए देख लिया था, वो बोली अगर देखना है तो मुझसे कहो मैं तुम्हे ऐसे ही दिखा दूंगी। मैं घबरा गया कि भाभी क्या बोल रही है, उसके बाद भाभी ने मेरे चेहरे पर हाथ रखते हुए बोला कभी किसी के साथ कुछ किया है या नहीं।

तभी मेरे अंदर का जानवर जाग गया तो मैने भाभी से कहा कि मैं आपको किस करना चाहता हूं और कहते हुए उनके चेहरे को अपने तरफ़ खींच कर उनके होंठों पर किस करने लगा, उनके होंठों बहुत ही नशीले थे, मैं उनके होंठों को चूसने लगा और भाभी मेरे होंठों को चूसने लगी, दोनो करीब १५ मिनट तक ऐसे ही किस करते रहे उसके बाद भाभी बोली कि तुम तो कह रहे थे कि तुमने कभी कुछ नहीं किया है लेकिन तुम्हे देखकर लगता नहीं है कि तुमने कभी कुछ नहीं किया है। मैं कुछ नहीं बोला और भाभी की ब्रा एक बटन को खोलकर उनके मम्मे को हल्का हल्का दबाने लगा, उनको भी अच्छा लग रहा था इसलिये कुछ नहीं बोली

फिर मैने उनके ब्रा को पूरा खोल दिया तो भाभी कहने लगी तुम तो बहुत तेज हो, पहले तो तुमने किस करने को कहा और अब मेरे मम्मे दबाने लगे, मैने कहा भाभी आप बहुत खूबसूरत हो और मैं आपको चोदना चाहता हूं, कहके भाभी कि एक मम्मो पर अपना मुंह लगाकर चूसने लगा और दूसरे मम्मे को अपने हाथ से दबाने लगा, भाभी भी मस्ती में आकर ऊऊउह्हहाआआ और जोर से चूसो संदीप बहुत अच्छा लग रहा है चूसते रहो ऊऊऊह्हाआआआ मजा आ रहा है संदीप जोर से चूसो और जोरसे। मैं अपने पूरे स्पीड से भाभी के मम्मे को चूसने लगा, तभी वो सिर्फ़ पैंटी में ही थी, मम्मे चूसते हुए मैने अपने हाथ भाभी के पैंटी के अंदर डाल कर उनके जांघों को सहलाने लगा तब तक भाभी मस्त हो चुकी थी, भाभी की जांघों को सहलाते हुए मैने उनकी चूत को भी हल्के हल्के सहलाने लगा, भाभी मस्ती में आअह्हह्हह्हह ह्हह्हह्हह्ह ऊऊऊउफ़्फ़फ़्फ़फ़्फ़फ़ आवाज़ निकाल रही थी।

एक तरफ़ उनके निप्पल से दूध निकल रहा था और दूसरी तरफ़ उनके निप्पल को मसल रहा था। १ घंटे तक मैने उनका निप्पल और चूत में उंगली डालता रहा उनकी चूत गीली हो गयी थी, बाद में मैने उसके पेट पेर किस किया और उनके चूत के अंदर अपनि जीभ को डालने लगा और उनकी चूत को मैं ने अच्छी तरह चाटा २५ मिनट तक। और भाभी मुझे किस कर के कहने लगीं के तुमने तो अपना काम कर दिया अब देखो मैं क्या करती हूं। फिर भाभी ने मेरे लंड की टोपी पर ज़ुबान फेरनी शुरू की, फिर धीरे धीरे पूरा लंड अपने मुंह में ले लिया और लोलयपोप की तरह चूसने लगीं। भाभी बहुत अच्छा लंड चूस रही थीं। मैं तो उस वक्त मज़े और आनन्द की ऊंचाई पर था। भाभी ने पहले आहिस्ता और फिर तेज़ी से लंड चूसना शुरू कर दिया। भाभी ने मेरा लंड अपनी चूत पर रखा मैने एक स्लो पुश के साथ अपना लंड उनकी चूत में डाल दिया। उनकी चूत पहले ही गीली हो रही थी इसलिये पूरा लंड बड़ी आसानी से उनकी चूत में चला गया। पहले तो मैं भाभी को आहिस्ता आहिस्ता चोदता रहा फिर मैने अपनी स्पीड तेज़ कर दी और भाभी को शक्ति से चोदने लगा। भाभी चुदाई का पूरा मज़ा ले रही थीं और आआअह्ह ऊओह्हह्ह ऊउफ़्फ़फ़्फ़ ह्हहयययययीए और तेज़ प्लीज़ तेज़ उफ़्फ़फ़्फ़ ऊऊह्हह्ह की आवाज़ें निकाल रही थीं। उनके ब्रेस्ट्स हर झटके के साथ हिल रहे थे। जो एक हसीन और दिलकश नज़ारा था।

मैं चोदने के बाद मैने भाभी को घोड़ी बनाया तो उनकी खूबसूरत और चौड़ी गांड ऊपर को उठ आई और उनके ब्रेस्ट्स किसी आम की तरह लटकने लगे। मैने भाभी की गांड पर हाथ फेरते हुये लंड उनकी चूत में डाल दिया और उनके ब्रेस्ट्स पकड़ कर ज़ोर ज़ोर से झटके लगाने लगा मैं भाभी को जी जान से चोद रहा था और भाभी भी चुदाई में भरपूर साथ दे रही थी। काफ़ी देर चुदने के बाद भाभी ठंडी पड़ गयीं, मैं भी अपने क्लाइमेक्स पर था। मैने भाभी को कहा कि मैं छूटने वाला हूं तो उन्होने कहा कि कोई बात नहीं तुम मेरे अंदर ही निकालो। मेरे लंड से वीर्य का फ़ौव्वारा निकला और भाभी की चूत वीर्य से भर गयी मैं भी थक कर भाभी के ऊपर लेट गया। थोड़ी देर बाद मैने लंड भाभी की चूत से निकाला जो वीर्य और भाभी के जूस से भरा हुआ था, भाभी ने फिर मेरे लंड को चाटना शुरु कर दिया और इसे बिल्कुल साफ़ कर दिया।

अब भाभी ने कहा संदीप तुम तो बहुत एक्सपर्ट लगते हो, मुझसे पहले कितनो के साथ चुदाई कर चुके हो, मैने कहा भाभी चुदाई तो १४-१५ के साथ किया है लेकिन जैसे मम्मे आपके हैं वैसे मम्मे मैने आजतक नहीं चुसे हैं, आपके मम्मे बहुत टेस्टी हैं। ये कहते हुए मैने अपनी उंगली फ़िर से उनकी चूत में डाल दी और भाभी ने स्ससस्सस्ससाआआआ करती रही, बहुत अच्छा लग रहा है। और फिर मैने झटके से भाभी की तरीफ़ की कि सच में आप बहुत खूबसूरत हो तो भाभी ने मुझसे कहा कि ये क्या भाभी भाभी लगा रखा है, पहले ये बताओ तुम मुझे रात भर चोदोगे या नहीं। ये सुनकर तो मुझे और भी खुशी महसूस हुई। इसका मतलब ये नहीं कि मैं और किसी के साथ रात नहीं गुजारी है। मैने तो पिछले ४ सालों से कितनी अपनी क्लासमेट के साथ रात गुजारी है पर भाभी के जैसा पेशेंस और किसी में मैने नहीं देखा था इसलिये मुझे बहुत खुशी महसूस हो रही थी।

तब मैने उनसे कहा कि मैने आपको दूसरे एंगल से चोदना चाहता हूं तो बोली कौन से एंगल से चोदोगे अब मुझे, मैने कहा कि आप ज़मीन पर लेट जाइए और अपने पैर को उठा कर बेड पर रख दीजिये और उन्होने ऐसे ही किया मैं उनके पैरों के बीच में गया और उसको फ़ैला कर अपने दोनो कंधों पर रख कर उनकी फ़ुद्दी के छेद पर अपना लंड रखकर धक्के मारने लगा, इस तरीके से उन्हे भी अच्छा लगने लगा और बोली बहुत मजा आ रहा है मेरे राजा, जैसे चोदना हो चोदो मुझे, मैं करीब उस एंगल से १० मिनट तक चोदने के बाद चूत से लंड को निकाल कर वापस गांड में डाल दिया और चोदने लगा। मैने इसी तरह हर ५ मिनट के बाद चूत और गांड की चुदाई करता रहा। लगभग २५ -३० मिनट तक इसी तरह चोदने के बाद मैं बोला, "मैं अब झड़ने वाला हूं। तुम बताओ कि मेरे लंड का पानी कहां लेना चाहती हो, अपनी चूत में या गांड में।" उन्होने कहा, "तुम मेरी गांड में ही पानी निकाल दो, चूत में तो तुम पहले भी निकाल चुके हो।" फ़िर मैने अपना सारा अनमोल रतन उनकी गांड में डाल दिया और मैं बेड पर आकर लेट गया, तभी उनकी नज़र घड़ी पर गयी तो देखा कि ५ बजने वाले हैं तभी उन्होने मेरे होंठों पर जोर से किस किया और कहने लगी जो मजा तुम्हारे साथ आता है वो मुझे उनके साथ नहीं आता है।

फ़िर भाभी के मना करने के बाद भी मैने घोड़ी बना कर फिर से उनकी चुदाई शुरु कर दी। इस बार मैने केवल चूत की ही चुदाई की। इस बार लगभग १/२ घंटे तक चोदा तब कहीं जा कर मेरे लंड से पानी निकला। अब तक सुबह हो चुकी थी। भाभी ने कहा के उनकी चूत और गांड में दर्द बहुत हो रहा है लेकिन इस चुदाई से जो मज़ा मिला उसके आगे ये दर्द कुछ भी नहीं। फ़िर मैं अपने घर आ गया और जब भी मुझे ये मौका मिलता मैं उन्हे छोदता रहा। हर बार मुझे एक अलग सा खुशी मिलती थी क्योंकि आंटी है ही इतनी सेक्सी

बोस की बेटी की चुदाई की

पिछले महीने एक दिन मेरे बोस ने मुझे और मेरी वाइफ़ को डिनर पर उसके घर बुलाया था, हम लोग उसदिन उसके घर पर गये। उसके फ़ैमिली में उसकी वाइफ़, वो और उसकी एक बेटी है। उसकी बेटी कोलेज मे पढ़ती है। उस दिन हम लोग उसकी फ़ैमिली से काफी घुल मिल गये। उसने मुझे बताया की उसकी बेटी फिजिक्स सुब्जेक्ट में काफ़ी कमजोर है। मैं खुद फिजिक्स का मास्टर हूं तो उसने मुझे रेकुएस्ट किया कि क्या मैं उसके बेटी को फिजिक्स पढ़ा सकता हूं। मैने उसको हां कर दी मेरी वाइफ़ भी इनसिस्ट करने लगी कि मैं उसको फिजिक्स पढ़ाऊं।

फिर मैने उसको बताया कि तुम मेरे घर शनि-इतवार आया करो। मुझे सटरडे - सन्डे होलीडे होता है। उसने हां कर दी। फिर वो शनिवार मेरे घर पर आ गयी। मैं घर पर अकेला ही था क्यों कि मेरी वाइफ़ भी जोब करती है और उसे सिर्फ़ संडे छुट्टी होती है। फिर मैने उसे मेरे पास वाले कुरसी पर बिठाकर उसे मैं फिजिक्स पढ़ाने लगा। काफ़ी देर तक मैं उसे मन लगा कर पढ़ाता रहा।

थोड़ी देर में मैने उसे कुछ काम दे कर मैं चाय बनाने किचन में चला गया। मैं चाय लेकर जब किचन से वापस आया तो मेरी नज़र उसके कमर पर पड़ी। उसने जींस और शोर्ट टोप पहनी हुयी थी। वो टेबल पर झुककर लिखने के कारण पीछे से उसका टोप ऊपर उठ गया था। फिर मैं उसके बगल में आ कर बैठ गया। मेरा पूरा ध्यान उसके कमर पर था। जींस के कारण उसकी पैंटी भी दिखायी दे रही थी। मैं काफी उत्तेजित हो चुका था पर मैं अपने आपको रोकने की कोशिश कर रहा था क्योंकि वो मेरे बोस की बेटी थी और उमर में भी छोटी थी। फिर वो मुझसे प्रश्न पूछने लगी। मैं उसको उत्तर दे रहा था पर मेरा ध्यान बार बार उसकी कमर पर जा रहा था। वो काफी मासूम थी। थोड़ी देर बाद वो घर चली गयी।

वो जाने के बाद मुझे कुछ समझ में नहीं आ रहा था। मेरे सामने उसका फ़ीगर दिखायी दे रहा था। मेरा लंड भी काफ़ी खड़ा हो चुका था। मैं थोड़ी देर बेड पर आकर लेट गया। फिर मैं उठकर बाथरूम में गया और हाथ से हिलाकर अपने आपको ठंडा कर लिया। रात को मेरे बोस का फोन आया और मेरी तारीफ़ कर रहा था कि मैने उसके बेटी को बहुत अच्छे से पढ़ाया।

रात को मैं जब सोने के लिये गया तो मेरे वाइफ़ के साथ सेक्स करते समय मुझे उसका ही चेहरा नज़र आ रहा था। मैने मेरे वाइफ़ को वो समझके चोद दिया। मुझे समझ में नहीं आ रहा था कि मुझे क्या हो रहा है। रात भर मैं उसके बारे में ही सोच रहा था। दूसरे दिन वो फिर से आने वाली थी, दूसरे दिन वो जब आयी तो वो सलवार पहने के आयी थी। मैने थोड़ी देर उसको पढ़ाया फिर वो घर चली गयी। मेरी वाइफ़ भी मेरे पढ़ाने की तारीफ़ कर रही थी।

अगले हफ़्ते शनिवार को मैं उसका इन्तज़ार कर रहा था। जब वो आयी तो उसने पैंट और शोर्ट टॉप पहन रखी थी। उसका फ़ीगर बहुत ही अच्छा था। फिर मैने उसको पढ़ाना शुरु किया पर मेरा ध्यान उसके बदन को टटोलने में ही था। थोड़ी देर वैसे ही टटोलता रहा और फिर मैने हिम्मत कर के मेरा एक हाथ पीछे से उसके खुली कमर पर रखा और उसे प्यार से हाथ घुमाते हुये पढ़ाने लगा। वो भी काफ़ी इंटेरेस्ट से पढ़ रही थी। धीरे धीरे मैने अपना हाथ उसके टोप के अंदर घुसा दिया और उसकी पीठ पर घुमाने लगा। मैं काफ़ी उत्तेजित हो चुका था और मेरी समझ में नहीं आ रहा था कि मैं क्या कर रहा हूं।

थोड़ी देर मैं वैसे ही हाथ घुमा रहा था, उसकी ब्रा के ऊपर से मैने काफ़ी देर तक हाथ घुमाया। वो क्वश्चन हल करने की कोशिश कर रही थी। मैने धीरे से उसके चेहरे के तरफ़ देखा तो आंखें बंद कर कर धीरे से मुस्करा रही थी। जैसे कि उसको मज़ा आ रहा हो। फिर मेरी हिम्मत थोड़ी बढ़ गयी और मेरा हाथ मैने उसके बूब्स के ऊपर से घुमाना शुरु क्या। वोह धीरे धीरे सिसकियां लेने लगी। फिर मैने उसका हाथ पकड़ कर मेरे पैंट के ऊपर से लंड पर रख दिया, उसने अचानक अपना हाथ मेरे से छुड़ा लिया।

पर उसने मुझे हाथ घुमाने से नहीं रोका। फिर मैने उसके ब्रा के हुक खोल दिये और उसके टिट्स के ऊपर से हाथ घुमाने लगा। मुझे समझ में आ गया कि वो अभी काफ़ी उत्तेजित हुयी है। मैने धीरे से उसके पैंट कि चैन खोल दी पर वो मुझे हाथ डालने से रोक रही थी पर भी मैने जबरदस्ती से अंदर हाथ डाल दिया और पैंटी पर से उसके चूत के साथ खेलने लगा। उसकी पैंटी गीली हो चुकी थी। फिर से मैने उसका हाथ पकड़ लिया और मेरा लंड पैंट से बाहर निकल कर हाथ में थमा दिया। इसबार उसने कोई विरोध नहीं किया और मेरा लंड हाथ में पकड़ लिया। अभी भी वो नीचे देखते हुये धीरे से मुस्करा रही थी। ये सब ३० मिनट तक चला, पर इस बीच हमने न नज़र मिलायी और न बात की। सब कुछ चुपचाप ही चल रहा था।

फिर मैने उसकी तरफ देख कर उसको खड़ा रहने के लिये कहा। वो मेरे तरफ़ पीठ कर के मेरे सामने खड़ी हो गयी। मैने उसको पीछे से पकड़ कर उसको चूमना शुरु किया। फिर मैं कुरसी पर बैठ गया और मैने उसकी पैंट उतार दी। वो अभी भी मेरे तरफ़ पीठ करके ही खाड़ी थी। फिर मैने उसके चूतडों को मसलना शुरु किया ।थोड़ी देर में मैने उसकी पैंटी उतार दी वो अभी सिर्फ़ शर्ट पहने हुई मेरे तरफ़ पीठ करके खड़ी थी। फिर मैने मेरी पैंट उतारकर अपने तने हुये लंड को हाथ में लिया और उसको उल्टा मेरे गोद में बिठा कर लंड पीछे से उसके जांघो में चूत के पास डाल दिया। वो वैसे ही चुप चाप बैठ गयी। मैं उसको टोप ऊपर उठाकर पीठ पर चूसने लगा। दोनो हाथों से मैने उसके बूब्स पकड़ लिये थे।

थोड़ी देर में मैं उसको बेडरूम लेकर गया। उसको बेड पर बिठाकर उसके बाजु में खड़ा हो गया। वोह अभी भी शरमा कर स्माईल दे रही थी। उसने मुझसे कोई बात नहीं की न ही उसने मना किया। फिर मैं अपना लंड उसके मुंह के पास ले गया और उसको मुंह में लेने के लिये कहा। उसने सिर हिलाकर न कहा। पर मैने उसको फ़ोर्स करके मेरा लंड चूसने के लिये मजबूर कर दिया। थोड़ी देर में वो सफ़ाई से चूसने लगी। अब मैने हाथ से उसकी चूत को सहलाना शुरु किया। वो गीली थी। फिर मैने उसको बेड पर लिटा कर उसकी दोनो टांगे फ़ैला दी। अब उसकी चूत पूरी तरह से दिखायी दे रही थी। फिर मैने अपनी जीभ उसकी चूत में डाल कर चूसना शुरु किया। वो उत्तेजना के कारण छटपटाने लगी, उसने मेरा सिर दोनो हाथों में पकड़ लिया था। थोड़ी ही देर में मेरा लंड पूरा टाइट हो चुका था।

अब मैने उसको चोदने की पोसिशन ले लिया। उसने मुझे मना किया। उसने कहा नहीं मैने कभी किया नहीं है और मुझे दर्द होगा। मैने उसको समझा बुझाकर अपना लंड जबरदस्ती चूत में डाल दिया। वो जोर से चिल्लायी। उसको काफ़ी दर्द हुआ था और थोड़ा खून भी बाहर आया था पर मुझे कुछ सूझ नहीं रहा था। मैं उसके ऊपर टूट पड़ा था। थोड़ी देर में उसने अपने दोनो हाथों से मेरी कमर पकड़ लिया और मुझे जोर जोर से खीचने लगी। अब मेरी भी स्पीड बढ़ चुकी थी। अब मुझे समझ आ गया था कि अब उसको भी मज़ा आ रहा है।

फिर मेरे लंड जवब देने में आया तो मैने उसे बाहर निकाल कर अपना लावा उसके कमर पर डाल दिया। वो एकदम सैतिस्फाइड हुई थी। फिर मैने उसको उठाकर बाथरूम में भेज दिया। बेड की चादर मैने गायब कर दी और दूसरी डाल दी। थोड़ी देर में वो फ़्रेश हो कर कपड़े पहन कर आ गयी। वो फ़िर घर जाने निकली। मैने उससे बात करने की कोशिश की पर उसने मुझसे कोई बात नहीं की। उसके जाने के बाद मुझे थोड़ा डर लगने लगा। शयद वो किसी को बता दे।

अगले दिन वो क्लास को नहीं आयी तो मैं और डर गया था। ओफ़िस में बोस का बेहविओउर मेरे साथ नोर्मल था तो थोड़ा टेंशन कम हुआ। इसी बीच मुझे उसका कोई फोन नहीं आया। उस वीक शनिवार मेरी वाइफ़ ओफ़िस में जाने के बाद मैं कम्प्यूटर पर बैठ कर अपना काम कर रहा था। अचानक डोर बेल बजी। मैने दरवाजा खोला तो सामने वो खड़ी थी। उसने शरमाते हुये स्माईल दी और अंदर आ गयी। मैने अंदर से दरवाजा बंद करके उसके तरफ़ देखा तो वो मुझसे आकर लिपट गयी। आज मैं उसको सीधे बेडरूम ले कर गया।

पति ने अपनी पत्नी को चुदवाया

सबसे पहले सभी प्यासी चूतों को मेरे लंड का सलाम !

दोस्तो, मेरा नाम राजेश कुमार है, मैं आप सब प्यासी चूत वालियों का अपने 7" के खड़े लंड से स्वागत करता हूँ। मैं अन्तर्वासना डॉट कॉम साईट का बहुत पुराना पाठक हूँ।मैं 24 साल का लड़का हूँ, मेरी ऊंचाई 175 सेमी और मेरा वजन 65 किलो है। मैंने बहुत साहस करके अपनी सच्ची कहानी लिखने की कोशिश की है। मैं आप लोगों को बता दूँ कि मैं एक नंबर का चूत का चुस्सू हूँ, मुझे चूत चूसने, चाटने और चूत का रस पीने में बड़ा मज़ा आता है, वैसे मैं एक कॉल बॉय बनना चाहता हूँ।

मैं राजस्थान का रहने वाला हूँ और आजकल गांधीनगर (गुजरात) में रह रहा हूँ। गांधीनगर में एक सुरक्षा प्रदान करने वाली कम्पनी में काम करता हूँ और हर 3-4 महीने बाद घर जाता हूँ।

एक बार मैं नेट चैट कर रहा था तो मुझे अहमदाबाद रूम में एक आदमी मिला। मैं उससे बात करने लगा। उसका नाम केतन, उम्र 32 साल और उसकी पत्नी ललिता 30 साल की थी। केतन ने चैट के दौरान उसने बताया कि वो अपनी पत्नी को किसी और से चुदते देखना चाहता है और ललिता भी चाहती है कि दो मोटे लंड उसकी चूत और गांड में एक साथ घुसें।

तो मैंने कहा- यार, मेरे से ही चुदवा लो !

तो वो राजी हो गया।

मैंने केतन को बताया कि मैं एक कॉल-बॉय हूँ और दो घंटे के 10000 लेता हूँ। तो उसने कहा- तू पहले अपना लंड वेब कैमरे पर दिखा ! यदि अच्छा लगा तो 12000 दूंगा।

मैंने उसे अपना लंड दिखाया, उसने कहा- तेरा तो बहुत मोटा है। तुझे मैं 15000 दूंगा।

और उसने कहा- यह सब संभव कैसे होगा?

तो मैंने कहा- मैं शनिवार को तेरे घर आता हूँ, तू अपनी पत्नी को बोलना कि यह मेरा दोस्त है और 1-2 दिन रुकेगा।

उसने कहा- ठीक है।

मैं शनिवार को दोपहर दो बजे उसके बताये पते पर गया। वो भावनगर का रहने वाला था। फिर मैंने उसको अपनी योजना समझाई, मैंने कहा- मैं तुझे शाम को एक गोली दूंगा जो तुम अपनी पत्नी को दे देना।

उसने कहा- ठीक है !

मैंने उसे पूरी योजना बता दी।

उसने शाम को वो गोली पीस कर मिठाई में मिला कर ललिता को दे दी। फिर ललिता ने खाना बनाया। फिर केतन और ललिता हॉल में आकर बैठ गए तो केतन मुझसे बोला- यार कौन सी मूवी देखोगे?

तो मैंने कहा- यार, आज तो कोई चुदाई वाली दिखा दो !

तो उसने कहा- यार, एक हिंदी की पोर्न मूवी है चला दूँ क्या ?

मैंने कहा- नेकी और पूछ-पूछ !

अब मैं आगे की कहानी सबकी जुबानी सुनाता हूँ।

अब केतन ने हिंदी पोर्न मूवी चला दी। मूवी में एक लड़की दो लड़कों के लंडों को चूस रही थी, दोनों के लंड बहुत मोटे थे। वो बारी-बारी से दोनों लंडों को चूस रही थी। कभी दोनों को एक साथ चूस रही थी।

राजेश : यार केतन यह देख ! मूवी में लड़की क्या माल है बड़े मजे से चूस रही है दो -दो लंडों को !

केतन : हाँ यार बड़ी मस्त माल है !

यह कहते हुए केतन ललिता की चूचियों को जोर से मसलने लगा तो ललिता सिसकी लेने लगी और थोड़ी देर में वो भी केतन के लंड को पैन्ट के ऊपर से सहलाने लगी। कमरे में सिसकारियों का माहौल हो गया।

केतन : यार बड़े मजेदार मूवी है ! राजेश तुझे पता है ललिता भी दो लंडों से चुदवाने का सपना रोज देखती है।

ललिता : आःह्ह ....केतन क्या बोल रहे हो तुम ? मैंने तुमसे ऐसा कब कहा?

केतन : ललिता जब तुम और में परसों रात यही मूवी देखते हुए चुदाई कर रहे थे तो तुम कह तो रही थी कि काश मैं भी ऐसे ही दो लंडों को चूसती और दोनों लंडों से एक साथ चुदवाती !

अब तक मूवी में एक लड़का नीचे बैठ कर उसकी चूत चूस रहा था और दूसरा अपना लंड चुसवा रहा था। थोड़ी देर में एक लड़का सोफे पर बैठ गया और उसने उस लड़की की गांड में लंड डाल कर अपने ऊपर बिठा लिया और दूसरे ने उसकी चूत में लंड पेल दिया। इधर केतन ने ललिता को नंगा कर दिया और सोफे पर लेट कर उसकी चूत चूसने लगा और ललिता का मुँह मेरी तरफ था जहाँ में बैठा था वो केतन का लंड चूस रही थी इधर मैंने भी अपने कपड़े खोल दिए और अपने लंड को हाथ में पकड़ कर मुठ मारने लगा।

राजेश : यार केतन देख तो कैसे चुदवा रही है साली एक लंड गांड में और एक चूत में !

केतन : हाँ यार बड़ी मस्त चुदवा रही है और ललिता तू क्या कह रही थी कि तूने कब कहा था दो लंडों से चुदवाने के लिए ? तो जब हम कल चुदाई करते हुए यह दृश्य देख रहे थे तब तूने कहा था कि काश ऐसे दो लंडों से मेरी भी चुदाई होती !

ललिता : हाँ साले कहा था ! और आज दो लंड भी हैं आज तो मैं दो लंडों से ही चुदवाउंगी ! राजेश तुम वहां बैठे हुए क्यों मुठ ।मार रहे हो ? मैं हूँ ना तुम दोनों की रंडी ! मैं चूसूंगी तेरे लंड को !

केतन (मेरी तरफ आँख मारते हुए) : हाँ यार यह है न अपनी रांड ! इससे चुसवा अपना लंड ! जब तक मैं इसकी चूत चूसता हूँ ! फिर इसकी चूत और गांड दोनों एक साथ चोदेंगे।

राजेश (ललिता के पास आकर अपना लंड ललिता के मुँह में ठूंसता हुआ) : ले साली रंडी ! अब चूस दोनों लंडों को उस रंडी की तरह ! (टीवी की तरफ इशारा करते हुए)

ललिता : आजा मेरे लौड़े राजा आज तो मेरी चूत और गांड दोनों की आग बुझ जाएगी और आज मेरा बहुत पुराना सपना भी पूरा हो जायेगा दो लंडों से चुदवाने का सपना ! आऽऽह्ह ....... जोर से चूस केतन मेरी चूत को आह्ह्हह्ह ...ओऽऽहऽ ....

केतन : ओऽऽहऽ .... . ....जोर से ही तो चूस रहा हूँ ! तू भी अपनी जीभ घुमा दोनों लंडों पर ! मेरा निकलने को आ रहा है ओऽऽहऽ ..........आऽऽह्ह ..........

राजेश : केतन, यार कैसा स्वाद है ललिता की चूत का ?

केतन : यार, यदि तूने चख लिया तो जिन्दगी भर तुझे ललिता की चूत ही नजर आएगी स्वाद के मामले में !

ललिता : राजेश, मैं तुझसे बाद में चुसवाउंगी, पहले दोनों से एक साथ चुदवाउंगी ! आऽऽह्ह ...... मैं गई ........ओऽऽहऽ .... ....जोर जोर से .....आऽऽह्ह......ऊह्ह्हह्ह्ह्ह ..गई मैं !

ललिता केतन के मुँह में झड़ गई और केतन ललिता के मुँह में ! अब केतन नीचे बैठ गया और ललिता ने उसके लण्ड पर अपनी गांड रख कर केतन का लंड अपनी गांड में ले लिया। अब मैंने भी अपना लंड ललिता की चूत पर रख कर एक ही झटके में पेल दिया। फिर दोनों मिलकर ललिता को चोदने लगे।

ललिता : सालो, आज तुम दोनों अपने लंड का कमाल दिखा दो और मेरी गांड और चूत को फाड़ दो आऽऽह्ह ..... ओह्ह्ह्हह जोर से केतन ओऽऽहऽ .... ....राजेश तुम भी जोर से आऽऽह्ह ....रेल की तरह दौड़ा दो अपने लंड को मेरी गांड और चूत में !

राजेश : ले मेरी रानी ! केतन, आज की रात तो इसे चोद चोद के इसका हाल बुरा कर देंगे आऽऽह्ह .........क्या कसी चूत है तेरी जब चूत ही इतनी कसी है तो गांड तो और भी तंग होगी।

केतन : हाँ, सही बोल रहा है राजेश यार ! इसकी चूत और गांड दोनों ही कसी हैं। मेरा लंड तो इसकी गांड में बुरी तरह फंसा हुआ है। ले मेरी रंडी, दबा के चुदवा ले, आज तो तेरा बहुत पुराना सपना पूरा करने के लिए ही मैंने राजेश को बुलाया है।

ललिता : ओह ! मेरे राजा तुम कितने अच्छे हो केतन कि तुम मेरे लिए एक मोटा और अपने जैसा ही लम्बा लंड ढूंढ कर लाये ! आज तो मैं पूरी रात दबा कर अपनी चूत और गांड फड़वाउंगी। आह्ह्ह्हहह्ह्ह्ह .....जोर से लंड देवताओ, जोर से ! फाड़ दो मेरी चूत को ! आःह्ह्ह्ह .....

राजेश : आज तो हम दोनों तेरी चूत और गांड का कीमा बना देंगे। अब तो मैं रोज तुझे चोदने आया करूँगा, क्यों केतन?

केतन : हाँ यार, अब तो रोज चोदा करेंगे स्साली को मिलकर !

ललिता : अब तो राजेश तुम यहीं रहोगे और मेरी गांड और चूत का रोज मज़ा लोगे ! केतन, इसको तुम अपनी कंपनी में जॉब दे दो और मेरे पास छोड़ दो, मैं रोज दिन में भी इससे चुदवाया करुँगी।

हमारी चुदाई 30 मिनट तक चली। इस बीच ललिता तीन बार झड़ गई थी और केतन ने उसकी गांड में अपना पानी छोड़ा और मैंने अपना पानी उसके मुँह में भर दिया। इस प्रकार केतन ने अपनी पत्नी ललिता को मुझसे चुदवाया और अब तो हम हर दूसरे तीसरे दिन उसकी चुदाई करते और वो मेरा नियमित ग्राहक भी बन गया है और मुझे हर बार के सात हज़ार रूपए देता है।

आपको मेरी कहानी कैसी लगी ?

नई चूत का आनंद

सबसे पहले समस्त चूतों को समस्त लंडों की तरफ से सलामी और गुरूजी को प्रणाम।

मेरा नाम अंकुर है दोस्तो और मेरा लंड भी कोई ज्यादा बड़ा नहीं है जैसा कि सब लिखते हैं यहाँ पर, मेरा लंड का आकार सामान्य है और आप जानते हैं कि सील जब टूटती है तो कितना दर्द होता है और मेरा लंड ज्यादा बड़ा नहीं है इसलिए शायद लड़कियाँ मुझे ज्यादा पसंद करती हैं अपनी सील तुड़वाने के लिए।

मुझे सील तोड़ने का बहुत ज्यादा अनुभव भी है और शौक भी। मैं पुरानी चूतें तब ही मारता हूँ जब नई नहीं मिलती। मैं वैसे तो अब तक उन्नीस सीलें तोड़ चुका हूँ पर अब मैं आपको ज्यादा बोर ना करते हुए कहानी पर आता हूँ।

सबसे पहले तो बता दूँ कि यह एक सत्य कथा है क्योंकि मुझे झूठ बोलने से भी और बोलने वालों से भी सख्त नफरत है। यह बात अभी पिछले महीने की है, हमने दिल्ली में एक नया घर खरीदा था।

एक लड़की जिसका नाम हेमा है, हमारे घर के सामने अपने परिवार के साथ रहती है। उम्र कोई होगी 17-18 के करीब, छोटी छोटी चूचियाँ, पतली कमर, गुलाबी होंठ और चूतड़ तो समझो कयामत।

अभी हमें नए घर में आये हुए चार दिन ही हुए थे। मैने देखा कि वो मेरी तरफ देख रही थी। मैंने उस दिन उसको पहली बार देखा। बस मेरा तो समझो लंड पूरा अकड़ गया। मन किया कि साली को अभी पटक कर चोद दूँ पर मैं चाहता था कि पहल वही करे तो ज्यादा अच्छा रहेगा।

मैं बाईस साल का स्मार्ट लड़का हूँ, अच्छी अच्छी लड़कियाँ मरती हैं मेरे ऊपर ! बस उस दिन तो मैं जैसे तैसे ऑफिस चला गया तो वो बाद में मेरे घर आई, मेरी मम्मी से मिली और पूछा कि कहाँ से आये हो? क्या करते हो? और मेरे बारे में भी पूछा।

आपको बता दूँ कि मेरा खुद का व्यापार है क्रॉकरी एक्सपोर्ट का। मैं सुबह 10 बजे ऑफिस जाता हूँ और रात को 8 बजे आता हूँ। शनिवार और रविवार मेरी छुट्टी होती है।

अगले दिन शनिवार था तो वो स्कूल नहीं गई। शायद उसे मम्मी ने बता दिया था कि मैं शनिवार को घर पर ही रहता हूँ। जब मैं 7 बजे सोकर उठा तो बालकोनी की तरफ आया। देखा कि वो खड़ी थी, मेरी तरफ देखते ही उसने गरदन हिलाकर मुझे नमस्ते किया और मेरी तरफ एक मिनट में आने इशारा करके चली गई।

मैं देखता रहा। अचानक देखा तो वो मेरे घर पर ही मेरे पीछे खड़ी थी। अच्छा हुआ कि उस समय मम्मी वहाँ नहीं थी मंदिर चली गई थी। मैंने उससे पूछा- जी हाँ ! बताईये !

तो वो कहने लगी- आप मेरी तरफ देख रहे थे न ! तो मैंने सोचा कि जाकर ही मिल लूँ।

मैंने कहा- प्लीज़, आप यहाँ से चली जाओ ! कहीं किसी ने देख लिया तो परेशानी हो जाएगी।

वो बोली- ओ के बाबा ! चली जाउंगी, तुम क्यों इतना डर रहे हो?

फिर बोली- अच्छा तुम्हारा नाम अंकुर है ना? और तुम बिजनेस करते हो ! और तुम्हारी शादी भी नहीं हुई है ! अभी तक क्या तुम्हारा शादी करने का मन नहीं करता?

तो मैंने गुस्से से कहा- तुम्हें इससे क्या मतलब ?

क्योंकि मुझे डर लग रहा था, अभी चार दिन हुए थे मोहल्ले में आये हुए।

वो बोली- प्लीज़, मेरा एक काम करोगे?

उसकी आँखों में मासूमियत झलक रही थी तो मैं भी पिघल गया और बोला- बोलो, क्या काम है?

तो वो बोली- मैंने सुना है कि आपकी इंग्लिश बहुत अच्छी है लेकिन मेरी बहुत कमजोर है। अगर आप मुझे थोड़ा बहुत पढ़ा दिया करें तो आपका एहसान मैं जिन्दगी भर नहीं भूलूंगी।

तो मैंने कहा- इसमें एहसान की क्या बात है, अगर तुम्हारे घर वालों को कोई परेशानी नहीं है तो मुझे भी कोई परेशानी नहीं होगी। तुम रोज रात को आठ बजे आ सकती हो।

उसने मुझे धन्यवाद कहा तो मैंने सोचा कि मौका है गुरु ! चौका मार दो और बोल दिया- दोस्ती में नो सॉरी ! नो थैंक्स !

वो मुस्कुराई और जाने लगी, तभी मेरी मम्मी भी मंदिर से आ गई। और उससे पूछ ही लिया- हाँ बेटी ! कैसे आई थी।

मम्मी को शक तो हो रहा था, बस मैं तुरंत अपने कमरे में चला गया।

पर उसने खुद ही मम्मी को बोल दिया कि मैं आज से शाम को 8 बजे से उसे पढ़ाने वाला हूँ क्योंकि उसकी परीक्षा करीब आ रही हैं, और उसे कोई इंग्लिश का अच्छा टीचर नहीं मिल रहा है।

मैंने भी चुपके से सुन लिया। मैं भी मन ही मन खुश होने लगा। उस दिन ऑफिस में भी काम में मन नहीं लगा। अब इतनी सुन्दर लड़की और वो भी नई, तो भला किसका मन करेगा काम करने का ! और मैं ऑफिस से सात बजे ही आ गया।

मम्मी ने खाने को पूछा तो मैंने बोला- अभी नहीं ! थोड़ा बाद में खाऊंगा।

बस 8 बजे और वो गई अपनी किताबें लेकर !

तो मैंने उसे बोला कि पढ़ाई हमेशा एकांत में ही होती है और अपने कमरे में आने को कहा। बस वो मेरे पीछे पीछे आ गई। अब वो और मैं मेरे बिस्तर पर बैठ गये। उसने अपनी किताब खोली और पूछने लगी यह क्या होता है, वो क्या होता है।

मेरा कहाँ मन कर रहा था पढ़ाने का ! मैं तो बस उसकी तरफ देखता ही जा रहा था।

उसने पूछा- क्या देख रहे हो ?तो मैंने कहा- तुम्हारा चेहरा पढ़ रहा हूँ क्योंकि मैं एक साइकोलोजिस्ट हूँ और मुझे लगता है कि तुम्हें कोई ना कोई परेशानी जरूर है।

तब वो उत्साहित हो गई और बोली- आपको कैसे पता ? और बताओ ना कुछ !

तो मैंने भी सोचा कि मौका अच्छा है और बोला- लगता है तुम्हें किसी की कमी खलती है अपनी जिन्दगी में !

तो वो बोली- हाँ ! और तुम्हें शायद कोई अच्छा दोस्त नहीं मिला जिससे तुम अपने दिल की बातें कर सको !

तो उसने हाँ में सर हिलाया और उदास सी ही गई और बोली- कुछ और भी बताओ ना !

तो मैंने कहा- लाओ तुम्हारे गालों की लकीरें देखता हूँ क्या कहती हैं ! और उसके गालों को छू-छू कर देखने लगा।

मेरा लंड तो समझो बाहर आने को बेताब था पैंट से !

वो देख रही थी और बोली- बताओ ना क्या लिखा है मेरे गालों पर ?

तो मैंने बोल दिया कि तुम्हारी जिन्दगी में कोई बहुत जल्दी आने वाला है और तुम भी उसे चाहती हो और अगर तुमने उसे बोलने में थोड़ी भी देर की तो तुम जिन्दगी भर ऐसे ही पछताते रहोगी।

तब वो बोली- अगर उसने मना किया तो ?मैंने कहा- ऐसा हो ही नहीं सकता।

तब अचानक वो मुझसे लिपट गई और बोली- आई लव यू अंकुर !

बस मैंने भी बोला- आई लव यू टू जान !

और उसके होंठों पर अपने होंठ रख दिये। पांच मिनट तक हम दोनों ऐसे ही लिपटे रहे कि अचानक उसकी मम्मी ने नीचे से आवाज लगाई- पढ़ाई ख़त्म हो गई हो तो आ जाओ बेटा ! बाकी कल पढ़ लेना। अगले दिन इतवार था तो मैंने उसे कहा- कल मैं कहीं बाहर जा सकता हूँ इसलिए तुम्हें सुबह आठ बजे ही पढ़ा दूंगा।

रात भर नींद नहीं आई और बस सोचता रहा कि कब सुबह हो और चोद डालूं उसे !

वो रात भी इतनी लम्बी हो गई कि बस आप तो जानते ही होंगे दोस्तो कि इंतजार कितना मुश्किल होता है।

खैर सुबह हुई, आठ बजे और वो आ गई। और तभी मम्मी भी मंदिर चली गई। वो और मैं सीधे कमरे में गये, दरवाज़ा बंद कर लिया और जाते ही उसके जलते हुए होठों पर अपने होंठ रख दिये। वो भी मेरा साथ देने लगी। ना जाने कब ही कब में मैंने उसकी चूचियों को आजाद कर दिया और उन्हें जोर जोर से मसलने लगा। उसने मेरा हल्का सा विरोध किया पर उसके बाद वो भी गर्म हो गई।

मेरा लंड अन्दर ही पैंट फाड़ने लगा और उसने अपने हाथों से मसलना शुरू कर दिया। करीब 10 मिनट की चुम्मा-चाटी के बाद वो पूरी गर्म हो गई और मेरे कपड़े उतारने लगी।

मैंने भी देर ना करते हुए उसके कपड़े उतार दिए। उसने केवल पैन्टी ही पहनी थी। उसका नंगा बदन देखकर मैं दंग रह गया। उसकी चूचियाँ इस तरह मेरे सामने थीं कि मानो मुझे अपनी वासना बुझाने के लिए आमन्त्रित कर रही हों।थोड़े ही समय में दोनों पूरे नंगे हो गए। वह घुटने के बल बैठ गई और मेरा लंड चूसने लगी और मैं उसके मम्मे दबा रहा था। फिर मैंने उसे लिटा दिया और उसकी संगमरमरी चूत अपनी उंगलियों से चोदने लगा। उसकी चूत एकदम कसी थी अनचुदी कली थी। वह सिसकारियाँ भर रही थी और इतने में वह झड़ चुकी थी। मैंने उसके अमृत-रस को साफ़ कर दिया।

तब मैंने अपने लंड को उसकी चूत के छेद से सटाया और सांस रोक कर जोर लगाने लगा। पर उसकी चूत बहुत कसी लग रही थी तो मैंने कर थोड़ा जोर से धक्का लगाया तो उसकी चीख निकल गई। मैंने उसके मुँह पर हाथ रख दिया ताकि पड़ोसी न सुन सकें।

लंड का सुपाड़ा उसकी चूत में घुस चुका था। अब मैंने लंड को थोड़ा सा पीछे करके एक और जोर से धक्का दिया तो लण्ड चूत की दीवारों को चीरता हुआ आधा घुस गया। अब वह सर को इधर उधर मार रही थी पर लंड अपना काम कर चुका था। मैंने अपनी सांस रोकी और लंड को वापिस थोड़ा सा पीछे करके जोर से धक्का दिया तो लंड पूरा उसकी चूत में घुस गया। उसकी आँखों से आंसू निकल गए और ऐसे लग रहा था कि जैसे वह बेहोश हो गई हो !

थोड़ी देर में उसका दर्द कुछ कम हुआ। अब वह धक्के पर आः ऊह्ह्ह श् औरऽऽर्र आआह्ह्ह्ह्ह कर रही थी, उसके हाथ मेरी पीठ पर थे और वह अपने नाखून मेरी पीठ में गड़ा रही थी। उसने अपनी टांगों को मेरी टांगों से ऐसे लिपटा लिया था जैसे सांप पेड़ से लिपट जाता है।

मुझे बहुत आनंद आ रहा था। उसके ऐसा करने से लंड उसकी चूत की पूरी गहराई नाप रहा था और हर शॉट के साथ वह पूरा आनंद ले रही थी, बोल रही थी- अंकुर, प्लीज़ कम ओन ऽऽ न ! फक मी हार्ड !

उसकी साँसें तेज हो गई थी और पूरे कमरे में आ आ... आ... उ... की आवाजें गूंजने लगी और फिर आःह्हछ उफ्फ्फ्फ्फफ्फ् श्ह्ह्ह्ह्ह्ह् की आवाजें करते करते वो फिर से झड़ गई। अब उसकी चूत और चिकनी हो गई थी और मैंने अपनी स्पीड और बढ़ा दी- कभी तेज शॉट और छोटे शॉट तो कभी तेज शॉट और लॉन्ग शॉट लगाता। जब छोटे शॉट लगाता तो उसको लगता कि उसकी जान निकल रही है, जब लॉन्ग शॉट लगाता तो उसको दर्द होता और ऐसे ही दस मिनट की चुदाई के बाद मैं उसकी चूत में ही झड़ गया और ऐसे ही उसके ऊपर निढाल होकर लेट गया। उसके चेहरे पर संतुष्टि और आनंद झलक रहा था।

हम दोनों पूरी तरह थक चुके थे। उसमें इतनी हिम्मत नहीं थी कि वो अपने कपड़े पहन सके। मैंने उसको जल्दी जल्दी जल्दी कपड़े पहनाए क्योंकि डर था कहीं कोई आ ना जाये !

मुझे उसने बाद में बताया कि अब वह बहुत खुश है !

और उसके बाद मैंने उसे चार बार और चोदा और उसने मुझ से अपनी तीन सहेलियों की सील भी तुड़वाई पर वो मैं अगली बार लिखूंगा। दोस्तो यह मेरी पहली कहानी है सो प्लीज़ मुझे मेल जरूर करें ताकि मैं अपनी और भी सत्य कथाएँ तुम्हें भेजता रहूँ।

नौकर से चुदवाया

मैं एक शादीशुदा औरत हूँ, मेरे पति एक व्यापारी हैं जो ज्यादातर घर से बाहर ही रहते हैं। वो मुझे सुख नहीं दे पा रहे थे, मैंने सोचा कि अब मुझे भी कहीं ना कहीं जुगाड़ करना पड़ेगा। उन दिनों में एक बार मेरे पति ने उनके एक करीबी दोस्त को घर बुलाया, मैंने बात बात में देखा कि उनके दोस्त की नजर मेरे बदन पर ही थी। और क्यों ना हो ! मैं जब इतनी सेक्सी थी।
मेरे पति बाथरूम गये और यहाँ हम दोनों की बात पक्की हो गई।

एक दिन मेरे पति रात को घर पर नहीं थे, मैंने तुरन्त उसे बुला लिया। वो करीब रात नौ बजे मेरे घर पर आ गया। मैं बहुत ही खुश थी क्योंकि आज मुझे पूरा सुख मिलने वाला था। मैं उसे अपने कमरे में ले गई। थोड़ी ही देर में वो शुरु हो गया, मैं भी इसी बात का इन्तजार कर रही थी। उसने मुझे बाहों में लेकर चूमना शुरु किया। वो मेरे कूल्हे पर हाथ फ़िराने लगा, मैं गर्म होने लगी। मैंने भी उसका लन्ड अपने हाथ में ले लिया, मुझे थोड़ी शर्म आ रही थी पर क्या करती, मुझे मजा जो लेना था। उसने मुझे ऊपर किया, नीचे किया, आगे किया , गोद में लेकर चोदा, सब तरीकों से चोदा।

पूरी रात में सुबह के चार बजे तक यही चलता रहा, वो इसी दरमियान चार बार झड़ गया, मैं पाँच बार झड़ गई। उसका हर बार का सारा माल मेरी चूत में ही था, वो पाँच बजे के करीब मेरे घर से चला गया।
अब मेरी दुःख भरी कहानी शुरु हुई उसके जाने के बाद !
मैं भी फ्रेश होकर सो गई, मेरा पूरा बदन टूट रहा था, मुझमें खड़े होने की भी ताकत नहीं थी। मैं आधे कपड़ों में सो गई।
करीब छः बजे मुझे एक आवाज आई- मेमसाब.... मेमसाब.... मेमसाब....
मैंने आधी आँखें खोल कर देखा तो वो हमारा नौकर भोला था....
मैंने उसे कहा- क्या है इतनी सुबह.... ?
उसने कहा- मेमसाब, रात को मैंने आपकी पूरी फ़िल्म देखी है !
मैं फटाक से बिस्तर से खड़ी हो गई। देखा तो भोला आधा नंगा मेरे सामने खडा था। वो बोला- मेमसाब, अब हमें भी मजा दीजिये ! नहीं तो साहब को पूरी कहानी बतायेंगे।
मैं डर गई, मैंने उसे कहा- भोला, अभी मैं बहुत थकी हुई हूँ। प्लीज, तुम सो जाओ...
इतना सुनते ही उसने मेरे बाल पकड़ लिये, मैं चिल्लाई- आ... आ...आ...
मेरा मुँह खुलते ही उसने उसका दस इन्च का लन्ड मेरे मुँह में डाल दिया..... मेरा चिल्लाना बन्द.....
उसने मेरे मुँह में ही चोदना शुरु कर दिया और वो झड़ गया, मेरा पूरा मुँह उसके माल से भर गया। इतना सारा दूध ! मुझे लगा कई सालों से जमा कर रखा था...
उसके तेवर तो देखो- अब मुझे बोला- अब साली नंगी हो जा !
ऐसा बोलकर वो खुद नंगा हो गया... मुझे बोला- चल साली, अब तुझे मजा देता हूँ...
मेरे कपड़े उसने ही निकाल दिये, मुझे नंगा कर दिया।
उसने मुझे बेड पर लिटाया और मेरे ऊपर चढ़ गया। मैंने बोला- नहीं, अभी मत करो...
वो मेरी बात मानने वाला नहीं था, उसने मेरे दोनों गोलवे दबाना शुरु किया, फ़िर उसने अपने मुँह में ले लिया और चूसने लगा, जोर जोर से चूसने लगा। अब मुझे भी थोड़ा मजा आने लगा था।
फ़िर वो मेरे बदन को चाटता हुआ मेरी चूत तक पहुँचा और मेरी चूत को अपनी जीभ से चाटने लगा। अब मुझे पूरी तरह उसका होना पड़ा क्योंकि रात को भी मुझे यह नहीं मिला था जो अब मिल रहा था।
मेरे मुँह से निकल गया- वाह भोला ! तूने मेरा दिल जीत लिया...
उसका लन्ड सोया हुआ था, मुझे लगा कि मुझे भी उसे कुछ करना चाहिये, मैंने उसे नीचे लिटा कर उसके होंठ अपने मुँह में ले लिए और उसका लन्ड हाथ में लेकर जगाने लगी। थोड़ी देर में उसका लन्ड खड़ा हो गया, पूरे दस इन्च का ! मैंने उसे चूम लिया और मुँह में ले लिया...
वो बोला- मेमसाब, मैं फिर से झड़ जाउंगा...
मैंने कहा- नहीं अब मत झड़ना... नहीं तो मैं मर जाउंगी....
मैं पूरी गर्म हो चुकी थी, मैंने उसे कहा- भोला, मेरी चूत को फाड दो...
उसने मुझे नीचे पटक दिया, मेरी टांगें फैला कर बीच में आकर अपना लन्ड मेरी चूत पर लगाया....
मैंने उसे कहा- भोला....
उसने जोर से धक्का लगाया... मेरे मुँह से चीख निकल गई .... उ...उ...आ..उ...आ... उसने पूरा लन्ड मेरी चूत डाल दिया.... वो मेरे गोलवे दबाते रहा और चोदता रहा... मुझे बहुत मजा आया...
फ़िर मैंने उसे खड़ा किया और मैं उस पर चढ़ गई और धक्के लगाने शुरु कर दिए... वो मेरे कूल्हे दबाने लगा। मैंने उसकी उन्गली अपने मुँह में ले ली और पूरी भिगो दी और उसे कहा- भोला, यह उन्गली मेरी गान्ड में डालो !
उसने पूरी उन्गली मेरी गान्ड में डाल दी। मेरे मुँह से आवाज निकली- आ...आ...आ...
वो बोला- मैं झड़ने वाला हूँ !
मैंने कहा- मैं भी.....
इतने में हम दोनों ही झड़ गये... वो मुझे चिपक कर सो गया...
मैंने कहा- अब तुम्हारा काम करो...
वो बोला- नहीं हम और चुदाई करेंगे...
मैंने उसे समझाया- देखो भोला, तुम बहुत अच्छा चोदते हो ! अब मैं तुम से रोज चुदवाउंगी... तुझसे गान्ड भी मरवाउंगी...
वो बोला- हमारे दो दोस्त हैं, उनको भी आप मजा दोगी....?
मैंने उसे शान्त करने के लिये उसे हाँ बोल दी.. मुझे क्या पता कि सही में ऐसा होगा....... फ़िर वो मेरे होंठों पर अपना लन्ड घुमा कर चला गया...
 
वो मेरी किस्मत वाली रात थी, मैंने पाँच बार चुदवाया........ दो लन्ड मुझे मिले......
सुबह के नौ बजे मैं बेड से मुश्किल से खड़ी होकर नहाने के लिए बाथरूम गई, पूरी नंगी होकर नहा रही थी। मेरा हाथ मेरी चूत पर गया, देखा कि अभी भी चूत खुली हुई थी, मुझे रात की पूरी कहानी याद आई। फ़िर मैं नहाने लग गई, जैसे ही मैंने साबुन लगाया, मेरी आँखें बन्द हो गई। इतने में मुझे लगा कि मेरे पीछे कोई आया है। इतने में तो उसने मेरे दोनों हाथ पकड़ लिये, मैंने महसूस किया कि उसका लन्ड मेरे कूल्हों के बीच टकरा रहा था, उसका लन्ड हाथ में आया तो मुझे पता चल गया कि यह भोला ही है। उसका लन्ड मेरी चूत को छुआ तो मेरी चूत भी अब पानी बहाने लगी। इतने में ही उसने मुझे गर्दन से पकड़ कर घोड़ी बना दिया, मेरे कूल्हे फैला कर मेरी चूत पर लण्ड रख दिया और मेरे गोलवे कस कर पकड़ लिये। फ़िर उसने मुझे अपनी ओर खींचा और मेरी तरफ जोर से धक्का लगाया। एक ही जटके में .... आ. ओ...ओ..... आआ आ..... सीसी....उउउ....अ.... पूरा लन्ड मेरी चूत में ......


अब मुझे बहुत दर्द हो रहा था, मैं लन्ड अपनी चूत से बाहर निकालने की कोशिश कर रही थी, उसने मुझे कसकर पकड़ लिया और मुझे जोर जोर से चोदने लगा। मेरे मुँह से बस आ..अ... आआ...उ..उ... आवाज ही आती रही।
पन्द्रह मिनट चोदने के बाद उसने लन्ड मेरी चूत से बाहर निकाल लिया, मुझे घुटनों के बल बैठा कए लन्ड मेरे मुँह में दे दिया। उसका इतना बडा लन्ड मुँह में जाने से मैं सांस भी नहीं ले पा रही थी। उसने मेरे मुँह में चोदना शुरु किया, मैं चूत से झड़ गई थी, फ़िर भी वो मुझे मुँह में चोदता रहा।
इतने में ही उसने मेरे बाल कस कर पकड़ लिये और बोला- जोर से चूसो... जोर से.... और जोर से......
उसके मुँह से आवाज निकल गई आ...आअ.....आअ..आआआ.....
मेरा पूरा मुँह उसके माल से भर गया... मुँह में माल लेने का मेरा यह पहला अनुभव था, बहुत गर्म था उसका माल ! उस्का स्वाद भी बहुत अच्छा था। उसने मुझे पूरा नहलाया और उठा कर बिस्तर में लिटा दिया....
और मैं सो गई......

यह मेरी पहले दिन की चुदाई थी। उसके बात दूसरे दिन भोला से, थोड़े दिन बाद पति के दोस्त से, कुछ दिन बाद भोला और उसके दोस्तों से, दूधवाले से, अपने पति से मतलब मेरी चुदाई ही चुदाई.....
मैं अपनी सभी चुदाइयों की कहानियाँ आपको भेजूँगी, पहले आप मुझे लिख भेजें कि यह कहानी आपको कैसी लगी.........